एटा-व्यापारियों की मुनाफाखोरी की भूख बन सकती है बड़ी मुसीबत

बाजार खुलने से अगर बड़े कोरोना मामले तो कौन होगा जिम्मेदार ?

अमित माथुर
एटा। जिले में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या से जनता में दहशत का माहौल बनता जा रहा है जो जनपद शुरुआत में कोरोना को हराता दिख रहा था अब वह कोरोना महामारी के आगे सरेंडर होता दिख रहा है। कोरोना से लड़ने की सारी तैयारियां पूरी तरह फेल होती जा रही हैं आखिर कहां चूक हुई जो हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं यह सबसे बड़ा सवाल है, पीएम ने देश में बढ़ते कोरोना मामले देखकर देश की जनता से कोरोना को हराने के लिए 21 दिन मांगे थे, इस दौरान‌ दीए जलाने से लेकर थाली भी बजवाकर जश्न मनवा दिया लेकिन जो हालात हैं वह सबके सामने हैं।
आखिर प्रशासन की मेहनत पर किसने फेरा पानी ?
जिले को कोरोना से बचाने के लिए डीएम सुखलाल भारती और एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने पूरे प्रशासनिक अमले के साथ दिन-रात एक कर जी-जान लगा दी लेकिन हालात कुछ भी हो फिर भी उनकी मेहनत को दरकिनार नही किया जा सकता लेकिन कुछ अंधभक्त लोग जिले में बढ़ रहे कोरोना मामले का दोष प्रशासनिक अधिकारियों के सर मढ़ने का काम कर रहे हैं।
इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जिले में बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों के लिए जिम्मेदार कौन है?
तो इसका जवाब है कि इसके जिम्मेदार हर वह व्यक्ति है जो अपने निजी स्वार्थों के लिए लाॅकडाउन में भी नियमों को दरकिनार कर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। लाॅकडाउन के चलते काम-धंधे बंद होने से गरीबों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजी-रोटी का इंतजाम करना है लेकिन ऐसे में देखा जा रहा इस मुश्किल दौर में हर एक गरीब व्यक्ति शासन और प्रशासन के साथ खड़ा नजर आ रहा है तो वहीं आज वह सम्पन्न वर्ग दिल्ली एनसीआर और दूसरे राज्यों से पैदल आ रहे गरीबों को गालियां बक रहे थे और ज्ञान बांट रहे थे कि दिल्ली में क्या ऐसी-तैसी करा रहे थे जो एक महीना बैठकर नहीं खा सकते दरअसल वह सम्पन्न वर्ग गरीबों को गालियां इसलिए नहीं बक रहे थे कि वह भूखे-प्यासे पैदल चल रहे थे इस सम्पन्न वर्ग की दिक्कत यह थी कि चाहे कुछ भी हो लेकिन सरकार की आलोचना ना होने पाए क्योंकि अंधभक्त जो ठहरे हम बात कर रहे हैं आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यापारी वर्ग की, यह वो ही व्यापारी वर्ग है जो भाजपा और मोदीजी को इस तरह दिखाना चाहते हैं कि इस नेतृत्व में देश में चहुंओर विकास की गंगा बह रही है।
लेकिन एटा का व्यापारी वर्ग बाजार बंद होने से इस तरह बिलबिला रहा है जैसे जिले में सबसे ज्यादा गरीबी से यही वर्ग जूझ रहा है और प्रशासन पर फलाने अध्यक्ष ढिकाने अध्यक्ष बनकर बाजार खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं तो ऐसे में व्यापारी वर्ग जो यह कहता है कि भाजपा सरकार में विकास की गंगा बह रही है उसकी हालात इतनी खराब हो चुकी है कि अब बाजार खुले बिना रह नहीं सकता है इससे तो यह साबित हो रहा है कि कोरोना काल में भाजपा सरकार में गरीब ही नहीं व्यापारी वर्ग के हाथ में भी कटोरा आ गया है।
जब पूरा शहर कोरोना से दहशत में है तो व्यापारी वर्ग बाजार खोलने के लिए क्यों इतना उतावला है कहीं मुनाफाखोरी के चक्कर में व्यापारी वर्ग बाजार खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव तो नहीं बना रहा है क्योंकि लाॅकडाउन के दौरान दुकानों पर जिस तरह मनमाने तरीके से इस मुश्किल दौर में भी मूल्य से अधिक रेट पर वस्तुएं बेची गई और बेची जा रही हैं यह किसी से छिपा नहीं है।
*माना व्यापारियों की मांग पर प्रशासन बाजार खुलने की अनुमति देदे तो ऐसे हालात में बाजार खुलने से कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी होगी व्यापारी वर्ग की या प्रशासन की ?*

error: Content is protected !!