हाथरस। देश के जाने-माने प्रसिद्ध कवि दाऊदयाल शर्मा उर्फ मामा हाथरसी एवँ शहर के प्रमुख समाज सेवी देशी घी के प्रमुख व्यापारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले गिर्राज किशोर गुप्ता के आकस्मिक निधन पर प्रेस क्लब ऑफ हाथरस के रामलीला मैदान स्थिति कार्यालय पर पर शोकसभा आयोजित की गई। शोकसभा में पत्रकारो ने दिवंगत आत्माओं के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया एव श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रेस क्लब ऑफ हाथरस के अध्यक्ष उमाशंकर जैन ने कहा मेरे छोटे भाई पत्रकार आकाश शर्मा के पिता दाऊदयाल शर्मा के आकस्मिक निधन से मन काफी दुखी है। दाऊ दयाल शर्मा उर्फ मामा हाथरसी ने पूरे देश में कविता पाठ के माध्यम से हाथरस का नाम रोशन किया था। काका हाथरसी के साथ उन्होंने देश के कई कवि सम्मेलन मंच साझा किए थे। पहले उन्होंने अपना नाम दाऊ दयाल शर्मा दर्शक रखा था बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर मामा हाथरसी कर लिया था। हास्य, व्यंग्य के कवि रूप में उन्होंने देश भर में कविता पाठ कर अपना एक अलग स्थान बना लिया था, उनकी कविताओं को सुनने के लिए बड़ी संख्या में स्रोता आते थे। काका हाथरसी व डॉ वीरेन्द्र तरुण की वह टोली में शामिल थे। देश के अंदर जहा भी काका व तरुण कवि सम्मेलन में जाते थे तो कविता पाठ करने के लिये मामा हाथरसी उनके साथ जाते थे। पिछले करीब 50 साल से वह कविता पाठ कर रहे थे उन्होंने मेला श्री दाऊजी महाराज में पहली बार 1978 में युवा कवि सम्मेलन कराया था जिसकी अध्यक्षता आशु कवि अनिल बोहरे ने की थी। उनबोमे कहा कि हमने देश के एक जाने माने कवि को खो दिया है। उमाशंकर जैन ने स्वर्गीय गिर्राज किशोर गुप्ता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि वह मेरे पिता स्व लालता प्रसाद जैन के अभिन्न मित्रों में से एक थे। देशी घी के कारोबारी के रूप में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायी थी। जब कांग्रेस की सरकार थी तब वह शहर अध्यक्ष रह कर अपनी एक अलग पहचान बनायी थी। मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और परिवार के लोगों को इतनी शक्ति दे कि वह इस दुख को सहन कर सके। शोकसभा के अंत में सभी ने 2 मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना भी की ।
शोकसभा में प्रमुख रूप से पुष्कर कुमार, रीतेश वार्ष्णेय बॉबी, आयोग दीपक, राजदीप तोमर, बृजेश मिश्र, विनीत चौरसिया, शुभम गुप्ता, जिनेंद्र जैन, पुनीत उपाध्याय, उमाकांत पुंढीर, आशीष सेंगर, पुलकित जैन, शैलेंद्र कुमार सिंह, गोपाल वार्ष्णेय आदि मौजूद थे।