कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मण्डलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी सम्पन्न

अलीगढ़। कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में मण्डलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी का आयोजन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। गोष्ठी का सफल संचालन प्रमुख सचिव कृषि द्वारा किया गया। अलीगढ़ मण्डल की ओर से मण्डलायुक्त जी.एस. प्रियदर्शी एवं जनपद की ओर से जिलाधिकारी चन्द्रभूषण सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अनुनय झा सहित विभागीय अधिकारियों व प्रगतिशील किसान भंवर पाल सिंह द्वारा प्रतिभाग किया गया। एपीसी ने कहा कि गोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना, उपज मूल्य दिलाना, वैज्ञानिक खेती की ओर ले जाना, सन्तुलित उर्वरा का प्रयोग सिखाना, कम लागत में अधिक उत्पादन लेना एवं प्रगतिशील किसानों के माध्यम से किसानों की समस्याओं एवं सुझावों को प्राप्त कर उस दिशा में सुधार करते हुए किसानों की समस्याओं का निराकरण करना है।
उन्होंने कृषि को इंटीग्रेटेड एप्रोच के तरह सोचने की बात करते हुए कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिये वैल्यू एडीशन करने एवं मार्केटिंग की उचित व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि जिलास्तर पर योजनाएं बनाते समय प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाए। कोविड-19 के दौरान मनरेगा विभिन्न योजनाआंें को जोड़ने वाली कड़ी के रूप में सामने आई है, जिसका प्रयोग कर हम विभिन्न प्रकार के एसेट्स विकसित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसानों से सुझाव प्राप्त करने में सीडीओ अहम भूमिका निभा सकते हैं।
मण्डलायुक्त जी.एस. प्रियदर्शी* ने कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव को बताया कि मण्डल में 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की खेती की जाती है। बाजरा, मक्का एवं धान मुख्य फसलें हैं। मण्डल स्तर पर खरीफ फसलोत्पादन की तैयारियां पूर्ण कर ली गयी हैं। बीज, उर्वरक, कृृषि रक्षा रसायन की कोई समस्या नहीं है। बिजली, पानी पर्याप्त है। कुछ नहरों के गेट खराब हैं, जिन्हें ठीक कराने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि कासगंज में 25-30 एकड़ कृषि फार्म विकसित किया जा रहा है। प्रदेश गेंहू खरीद में अलीगढ़ मण्डल प्रथम स्थान पर रहा है, जिसमें कृषि विभाग द्वारा 6 लाख व्हाट्स एप मैसेज भेजकर किसानों को क्रय केन्द्र पर गेंहू लाने के लिये पे्ररित किया गया। मण्डल में एफपीओ के माध्यम से भी गेंहू खरीद के सफल प्रयास किये गये। कृषि रक्षा रसायन एवं उर्वरक की सरकारी एवं गैर सरकारी दुकानों को गूगल मैप पर अपलोड कराया गया है। जनपद एटा में मोती पालन, सीप पालन एवं झींगा पालन कराकर मत्स्य पालकों को लाभान्वित किया जा रहा है। नलकूपों के कमाण्ड एरिया के बारे में किसानों को जानकारी हो, इसके लिये फ्लैक्सी लगाये गये। आच्छादन क्षेत्र तक पानी पहुॅचाने के लिये प्लास्टिक पाइपों को बढ़ाया गया है।
मण्डलायुक्त ने मण्डल की विभिन्न समस्याओं की तरफ एपीसी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि अलीगढ़ मण्डल एवं जनपद कासगंज में शासन द्वारा स्वीकृत पदों के सापेक्ष काफी पद रिक्त रहने से शासकीय योजनाओ को धरातल पर उतारने में कठिनाई हो रही है। मण्डल में गुलाब एवं चकोरी की खेती का काफी स्कोप है, शासन स्तर से इसको बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। जायद में मक्के के खरीद केन्द्र खोलना किसान के लिये फायदेमन्द साबित होगा। मण्डल के कुछ क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या को देखते हुए गहरे नलकूप लगाना उचित प्रतीत होता है। न्यौली शुगर मिल द्वारा गन्ने का मात्र 22 प्रतिशत भुगतान कराया गया है, इसे शत-प्रतिशत कराया जाए। मण्डल में ट्यूबवैल आपरेटर काफी कम है जिससे ट्यूबवैल संचालन सही ढ़ंग से नहीं हो पा रहा है।
जिलाधिकारी चन्द्र भूषण सिंह ने बताया कि जनपद में खरीफ की तैयारियां पूर्ण कर ली गयी हैं। प्रमुख फसलों के रूप में धान, बाजरा, मक्का एवं अरहर का उत्पादन किया जाता है। जनपद में खरीफ में 2.14 लाख हेक्टेयर में खाद्यान्न एवं तिलहन की खेती की जाती है। कृषकों को समय से कृषि निवेश उपलब्ध कराकर उन्नत तकनीक का व्यापक प्रचार-प्रसार कराते हुए लक्ष्य पूर्ति के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। भूमि संरक्षण की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 5422 हेक्टेयर कृषि योग्य बंजर भूमि में से 815 हेक्टेयर को कृषि योग्य बनाया गया है। फसल सघनता में वृद्धि करते हुए उत्पादकता को बढ़ाया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के सभी लाभार्थियों को केसीसी से आच्छादन की कार्यवाही प्रगति पर है। प्रगतिशील किसान के रूप में भंवर पाल सिंह ने जनपद के कृषि क्षेत्र के बारे में जानकारी दी।
जिलाधिकारी हाथरस प्रवीण लक्षकार ने ध्यानाकर्षण कराते हुए कि जनपद में 07 बाजरा क्रय केन्द्र खोलने की मांग की। उन्होंने बताया कि जनपद में एक कृषि विज्ञान केन्द्र बनाया जा रहा है, 10 वर्ष गुजर जाने के बाद भी वह पूर्ण नहीं हो सका है। उन्होंने बताया कि जनपद में आलू की खासी पैदावार होती है, किसानों को उचित लाभ दिलाए जाने के लिये फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना इस दिशा में सार्थक होगी। जनपद में जिला सहकारी बैंक नहीं होने के कारण किसानों को मथुरा, आगरा जाना पड़ता है जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिलाधिकारी एटा सुखलाल भारती ने बताया कि जनपद में खरीफ में धान, मक्का, बाजरा का प्रमुख रूप से उत्पादन किया जाता है। जनपद में जिप्सम की भारी कमी है, कुछ माइनरों में पानी न आने की भी समस्या है। मक्का क्रय केन्द्र खोलने एवं शिमला मिर्च की मार्केटिंग की तरफ ध्यान देने से किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। प्रगतिशील किसान विनोद चैहान ने बताया कि एफपीओ के माध्यम से 5000 कुन्तल गेंहू की खरीद करने से किसान काफी उत्साहित एवं खुश हैं। उन्होंने एफपीओ को रिवाॅल्विंग फण्ड दिये जाने, स्वयं सहायता समूह की भांति राशन कोटा दिलाए जाने एवं कौशल विकास केन्द्र से जोड़ने की बात कही।
मुख्य विकास अधिकारी कासगंज तेज प्रताप मिश्र ने बताया कि जनपद मंे औषधीय खेती की शुरूआत के साथ ही एफपीओ का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में पात्र लाभार्थियों के खाते में धनराशि भेजने के साथ ही सभी को केसीसी का लाभ दिया जा रहा है। जनपद में मनरेगा कनवर्जन के प्रस्ताव प्राप्त हो गये हैं। खाद-बीज, पेस्टीसाइड्स की कोई परेशानी नहीं है। प्रगतिशील किसान ब्रजेन्द्र सिंह ने कहा कि देश को किसान की आवश्यकता है। प्रगतिशील किसान कहलाने के लिये हमें अपने साथी किसानों को तरक्की के पथ पर लाना होगा। उन्होंने फसलोत्पादन के लिये उचित बाजार उपलब्ध कराने एवं पशुओं को खुरपका-मुंहपका से बचाने के लिये पशु शेड के साथ ही पशु मैट पर अनुदान दिये जाने का सुझाव दिया।
अपर आयुक्त मनरेगा ने बताया कि वर्तमान में 57 लाख श्रमिकों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। सीडीओ मनरेगा में प्रस्ताव तैयार कराने में संकोच न करते हुए अधिक से अधिक प्रस्ताव तैयार कराएं। निदेशक मत्स्य ने अधिक से अधिक तालाब आवंटन कराने एवं थाई मांगुर के उत्पादन को हतोत्साहित करने एवं प्रत्येक मत्स्य पालक को केसीसी से लाभान्वित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मत्स्य पालकों के लिये वरदान साबित होगी। निदेशक उद्यान ने कहा कि किसान इजराइली तकनीक अपनाकर 01 एकड़ क्षेत्र में भी बागबानी कर सकते हैं। प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिये उन्होंने किसानों एवं एफपीओ आव्हान करते हुए बताया कि सरकार द्वारा भारी अनुदान किये जाने की व्यवस्था की गयी है। निदेशक पशुपालन ने कहा कि पशुपालन कृषि का महत्वपूर्ण घटक है, पशुओं को गलघोंटू से बचाने के लिये वैक्सीन उपलब्ध करा दी गयी है। उन्होंने पशुओं की अनिवार्य टैगिंग करने के निर्देश देते हुए प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर गौ आश्रय स्थल बनाने के निर्देश दिये।

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