हाथरस। राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा का माननीय जनपद न्यायाधीश महोदया श्रीमती मृदुला कुमार के आदेशानुसार कोविड-19 महामारी को देखते हुये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वावधान में ऑनलाइन वीडियो क्रान्फ्रेसिंग के माध्यम से विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन श्रीमती चेतना सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा के अधीक्षक, केयर टेकर श्री हरीशचन्द्र आदि उपस्थिति रहे। सचिव श्रीमती चेतना सिंह द्वारा राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा में रह रहे किशोरों से बातचीत की गयी तथा उनके खान-पान, स्वास्थ्य, चिकित्सा सुविधा आदि के बारे में पूछा गया। तो किसी भी किशोर द्वारा अपनी किसी भी समस्या से अवगत नहीं कराया गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने शिविर में उपस्थित बालकों को वर्चुअल माध्यम से जानकारी देते हुये अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उनके अनुकूल विधिक सेवाओं की जानकारी दी। उन्होने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा यदि कोई अपराध किया जाता है किशोर न्याय अधिनियम में उसे बाल अपचारी माना जाता है। जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून-विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है। उन्होंने किशोरों को जानकारी देते हुये यह भी बताया कि कोविड-19 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा चलाई जा रही ‘‘बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके सरंक्षण के लिए विधिक सेवा योजना-2015’’ की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी। उन्होंने सभी किशोरों से कहा है कि अगर कोई गरीब है तथा उसके पास मुकद्दमा लडने के लिए पैसे नही हैं तो वह अपने अधीक्षक के माध्यम से एक निःशुल्क अधिवक्ता नियुक्त करवाने हेतु प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हाथरस के कार्यालय में भिजवा सकता है।