विचार और साधना के साथ समाज जागरण की गौरवशाली यात्रा है संघ के 100 वर्ष :केशव ,आरएसएस ने मनाया विजयादशमी उत्सव

हाथरस। विचार और साधना के गौरवशाली यात्रा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण किये है। संघ के स्वयंसेवकों ने राष्ट्र ,धर्म एवँ समाज की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित किया है। परिस्थिति कैसी भी रही लेकिन जो चुनोतियों मिली उसका मजबूती से साथ मुकाबला किया। हिन्दू समाज को तोड़ने का षड्यंत्र देश मे ही नही वरन विदेशों से भी किया गया लेकिन उनके प्रयास कभी सफल नही हुये। मन मे भारत माँ की जय की धुन और समाज के जागरण का संकल्प के साथ संघ की यात्रा अनथक और अविरल बहती रही। हिन्दू समाज को एकजुट होकर इस राष्ट्र को विश्व सिरमौर बनाना है।
उक्त बातें ब्रज प्रान्त के प्रांत कार्यकारणी सदस्य केशव ने डीआरबी इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव में कही।
विजय दशमी उत्सव का शुभारंभ मुख्य वक्ता केशव ,नगर संघचालक डॉ पीपी सिंह एवँ कार्यक्रम अध्यक्ष प्रमुख व्यवसायी दाऊदयाल शर्मा ने संघ के संस्थापक एवं आद्यय सरसंघचालक केशवराव बलिराम हेडगेवार , पूज्य गुरू जी एवं भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया। इसके उपरांत अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। स्वयंसेवक द्वारा एकल गीत भारती की जय विजय हो ह्दय में ले प्रेरणा, कर रहे हम साधना मातृभूमि की आराधना..का गान किया गया। मुख्य वक्ता केशव ने कहा किइस वर्ष का विजयादशमी का उत्सव हम सभी के लिये बहुत महत्वपूर्ण है । क्यों कि यह 100 वर्ष का उत्सव है। हिन्दू समाज के पुनर्जागरण के उद्देश्य के साथ वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना हुई। इन 100 वर्षों के काल खंड में संघ ने समाज की उपेक्षा , विरोध और स्वीकारोक्ति को देखा है। आज समाज ने संघ के कार्यो को अपनी सहमति के साथ स्वीकार्य किया है।संघ अपने सेवा कार्यो के माध्यम से समाज के मध्य एक जगह बनाई है। यहां जाति पात ऊंच नीच के भेदभाव का कोई स्थान नही है। सर्व हिन्दू समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हम सभी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। हमे राष्ट्रभक्ति के भाव को ह्दय में लेकर संस्कारित समाज का निर्माण करना है।
उन्होंने कहा संघ इस शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन द्वारा समाज परिवर्तन का कार्य करेगा। इन पंच परिवर्तनों को अपने जीवन मे अपनाना है।
उन्होंने समाजिक समरसता के संदेश देते हुये कहा कि भगवान राम ने सबरी के बेर खाकर , निषाद और जटायू को गले लगाकर वर्गभेद मिटाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्शां को अपनाकर देश में रामराज्य की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शास्त्र बताते है कि हमारे देवी देवताओँ ने भी शस्त्र रखें है। इन शस्त्रों का प्रयोग समाज और धर्म की रक्षा के लिये किया। संघ ने भी समाज की रक्षा के लिये शस्त्र के रूप में दंड रखा है। उन्होंने कहा कि जो अपने आपको संघर्षशील और ताकतवर रखेगा वही इस विश्व पर राज करेगा । हमे शक्तिशाली एवँ साहसी बनना होगा क्यो की शक्ति एवँ साहस से विजय होती है। हम विजय का वरण करना जानते है इसलिये हम शस्त्र पूजन करते है।
विजयदशमी के इस उत्सव पर अधर्मियों एवँ समाज मे व्याप्त बुराई रूपी रावण का वध कर राष्ट्र को मजबूत बनाने का संकल्प लें। कार्यक्रम का संचालन नगर कार्यवाह भानु ने किया ।इस अवसर पर जयकिशोर ,नगर प्रचारक शिवम सहित विभाग ,जिला एवँ नगर के काफी संख्या में दायित्ववान कार्यकर्ता एवँ स्वयसेवक मौजूद रहे।

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