डीजे, सीजेएम और जेएम कोर्ट का बहिष्कार निकाना मौन जुलूस

अगर तानाशाही में बदलाव नहीं तो मंगलवार से क्रमिक अनशन होगी शुरू: राधामाधव

हाथरस। अधिकारियों की तानाशाही रवैए के विरोध में सोमवार को डिस्ट्रिक्ट बार एसोशिएशन ने मौन जुलूस निकाल अपना विरोध रखा। सभी अधिवक्तागणों ने काली पट्टी बांध रखी थी और डीजे,सीजेएम व जेएम कोर्ट को छोड़कर वह अधिवक्ता वादकरियों के हितार्थ लगे थे। दूसरी ओर डीजे की ओर से पदाधिकारियों से वार्ता की पहल किये जाने की भी चर्चाएं भी थी।
डिस्ट्रिक्ट बार एसोशिएशन ने सोमवार को तानाशाही रवैए के चलते न्यायालय परिसर में मौन जुलूस निकाला और सभी भ्रमण करते हुए जिला कोर्ट के समक्ष पहुँचे और तानाशाही रवैए को छोड़कर न्याय और वादकारियों के हित में अधिकारियों कामना की। पहले सभी अधिवक्तागण बार रूम में एकत्र हुए और फिर हाथों में काली पट्टियां बांधकर मौन जुलूस में तब्दील हो गये। इसके बाद हुई बैठक में
अधिवक्ताओं का आरोप था कि एसएलपी सीएलआई नंबर (9) 5391/2021 की अनदेखी की जारही है। जिला जज, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्टों से ज्यादा शिकायतें है। जो कार्य कानून थाने से ही हो जाना चाहिए वह कार्य न्यायालयों से भी नहीं किया जा रहा। सतेंद्र कुमार अतिल बनाम सीबीआई में पारित आदेश का अनुपालन ना होने के कारण वादकारियों परेशानी हो रही है। आरोप था कि कोरोना काल में भी न्यायिक विवेक का प्रयोग न करते हुए 7 साल से कम के आदेशों में भी जेल भेजा जा रहा है। जबकि जमानतियों के सत्यापन के संदर्भ में पारित परिपत्र 44/98 दिनांक 20 अगस्त 1998 कुछ विशिष्ट अपराधों जैसे हत्या, डकैती व बलात्कार आदि में सत्यापन की अपेक्षा की गई है, लेकिन यहां पर छोटे-छोटे मामलों में भी जमानतियों का सत्यापन कराकर रिहाई में बिलंभ किया जा रहा है। आधिवक्ताओं के साथ जो व्यवहार होना चाहिए, कतई नहीं किया जा रहा है।
अध्यक्ष यज्ञदत्त गौतम व सचिव राधामाधव का यह भी कहना है कि अधिवक्ताओं का आपना एक अलग सम्मान है और उसको कहीं ठेस नहीं पहुंचने दी जायेगी। अगर अधिकारी बार-बैंच के मध्य तालमेल में सहयोग करेंगे तो बार भी वादकारियों हितार्थ इस में पूर्ण सहयोग करेगी।

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