महिलाये भरण-पोषण अधिनियम धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी

महिलाओं के हित संरक्षण कानूनों के सम्बन्ध में दी जानकारी
हाथरस । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश सतेन्द्र कुमार के आदेशानुसार ‘‘विधान से समाधान कार्यक्रम’’ के अन्तर्गत महिलाओं के हितार्थ हेतु विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, प्रशान्त कुमार की अध्यक्षता में ब्लाक हाथरस के सभागार कक्ष में आयोजित किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, प्रशान्त कुमार ने जारूकता शिविर में उपस्थित महिलाओं को अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महिलाओं के हित संरक्षण कानूनों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं को समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अलग वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। भरण-पोषण अधिनियम, विवाह अधिनियम एंव महिलाओं की सम्पत्ति में अधिकार के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि महिलाऐं अपने पति से अपने गुजारा भत्ता हेतु भरण-पोषण अधिनियम धारा 125 के अन्तर्गत पाने की अधिकारी हैं। अगर कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो इसके लिए वह शिकायत दर्ज करवा सकती है। भारतीय कानून के अनुसार मां-बेटी,मां,पत्नी,बहू या फिर घर में रह रही किसी भी महिला पर घरेलू हिंसा करना अपराध है। रेप पीडित किसी महिला को मुफ्त में कानूनी मदद पाने का अधिकार दिया गया है। इस स्थिति में पुलिस थानाध्यक्ष के लिए जरूरी है कि वह विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करके उसके लिए वकील की व्यवस्था करें। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये सम्भव है।
तहसीलदार, हाथरस ने अपने वक्तव्य में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि देश की हर महिला लीगल तौर पर अबॉर्शन कराने की हकदार है। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है, साथ ही जिस प्रेगनेंट महिला का मैरिटल रेप हुआ है, वो भी अबॉर्शन करा सकती हैं। वहीं अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को अबॉर्ट करने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला एसिड अटैक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

बाल संरक्षण अधिकारी, हाथरस विमल शर्मा ने अपने वक्तव्य में पोक्सों एक्ट के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये कहा है कि पोक्सो विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड के मामले में कार्यवाही की जाती है। यह एक्ट बच्चों के सेक्युअल हैरेसमंेट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस काननू के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। यदि अभियुुक्त एक किशोर (टीनएज) है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम में केस चलाया जाएगा।
वन स्टॉप सेन्टर की प्रभारी मनीषा भारद्वाज ने सरकार द्वारा जारी निःशुल्क हैल्पलाइन नम्बरों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये कहा कि किसी को कोई परेशानी,समस्या हो जाने पर आप तत्काल पुलिस सहायता हेतु टोल फ्री नं0 112 पर फोने कर पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते है, तथा महिला हैल्प लाइन नम्बर 1090 खास महिलाओं के शिकायत हेतु है, जिसमें अगर किसी महिला को कोई परेशान या छेडछाड या किसी महिला को कोई अन्य परेशानी हों तो वह निशुल्क हैल्प लाइन नम्बर 1090 डायल कर अपनी तथा दूसरों की सहायता कर सकती हैं। जिसका उस महिला का नाम गोपनीय रखा जाता है।
सहायक विकास अधिकारी, हाथरस महेश चन्द्र वर्मा ने अपने वक्तव्य में उपस्थित जनता को जानकारी देते हुये बताया कि किसी भी योजना का लाभ लेने के लिये उसकी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है। उन्होने राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर की नकल आदि के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
पराविधिक स्वयं सेवक मनु दीक्षित, साहब सिंह ने अपने-अपने वक्तव्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गरीब व्यक्ति, महिला एवं बच्चों, जातीय हिंसा, बाढ़, सूखा, एवं जरूरत मंद लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है। साक्षरता शिविरों के माध्यम से जनता को प्राधिकरण के उद्देश्यों की जानकारी देना, लोक अदालतों का आयोजन कराना, गरीब एवं पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना है। इसके अतिरिक्त दिनांक 14.12.2024 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के सम्बन्ध में जानकारी दी।
विधिक साक्षरता शिविर का संचालन मौनिका दीक्षित द्वारा किया गया। शिविर का संचालन करते हुए उन्होंने अपने वक्तव्य में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि भारत में कन्या भू्रण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग चयन की संभावनाओं के साथ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) पीसीसीपीटी अधिनियम के दायरे में आता है और इस पर प्रतिबंध है।
इस अवसर पर काफी संख्या में महिलायें उपस्थित रही।
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