नगर पालिका में भ्रष्टाचार का जिन्न फिर आया बाहर, प्रमुख सचिव ने चेयरमैन को भेजा नोटिस, बढ़ सकती है मुश्किलें

हाथरस। नगर पालिका में एक बार फिर भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर आ गया है। चेयरमैन आशीष शर्मा को नगर विकास अनुभाग 2 से कारण बताओ नोटिस/स्पस्टीकरण मांग गया है।जिलाधिकारी हाथरस की 15 जून 2022 की जांच आख्या पर प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने नोटिस जारी करते हुये चेयरमैन आशीष शर्मा से जबाब मांगा है। जबाब देने के लिये 7 दिन का समय भी दिया गया है वही जबाब नही देने पर कार्यवाही की बात भी कही गई है। चेयरमैन के खिलाफ कार्यवाही की खबर पर शहर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
तालाब सौंदर्यीकरण में पाई गई वित्तीय अनियमितता

तालाब सौंदर्यीकरण में वित्तीय अनियमितता हुई। नगर पालिका परिषद, हाथरस में तालाब, चौराहे के सौन्दर्यीकरण हेतु प्रथम डी०पी०आर० रू० 2,00,37,666/- के सापेक्ष द्वितीय डी०पी०आर० रू० 6,76,84,000/- की प्रस्तुत की गई, जिसके सापेक्ष न्यूनतम निविदा रू० 5,94,35,757 / प्राप्त हुई है। उक्त कार्य के सापेक्ष नगर पालिका परिषद, हाथरस की सूचनानुसार रू0 5.00 करोड़ से अधिक का भुगतान सम्बन्धित फर्म को किया जा चुका है और अभी भी 10 प्रतिशत की धनराशि भुगतान किया जाना अवशेष है तथा कार्य अभी अन्तिम नहीं हुआ है तथा अवरोधित है।
अतः वर्णित तथ्यों से प्रथम दृष्टया यह पुष्ट होता है कि मूल डी०पी०आर० की धनराशि के सापेक्ष लगभग 03 गुना धनराशि व्यय होने के उपरान्त भी तालाब, चौराहे के सौन्दर्यीकरण का कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है जबकि 18 माह के सापेक्ष लगभग 04 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। इस प्रकार उक्त कृत्य वित्तीय अनियमितता के अन्तर्गत आच्छादित है तथा सम्बन्धित कार्य की शर्तें अनुबन्ध का समयान्तर्गत पालन न कराने के कारण वित्तीय हानि परीलक्षित हो रही है।

शासनादेशों के विपरीत रखे गये सफाई कर्मचारी

सफाई कर्मचारियों को रखने में नगर पालिका ने शासनादेश को न मानते हुये टेंडर के द्वारा सफाई कर्मचारी रखे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आपूर्ति हेतु 03 बार निविदा आमन्त्रित की गई जो अपूर्ण पायी गई त्रुटियों का निराकरण न कराकर प्राप्त निविदाओं में से मै० जिया इन्टर प्राईजेज को ठेका दिये जाने में शिथिलता बरतते हुए निर्णय लिया गया। उक्त अनुबन्ध वर्ष 2019 में समाप्त हो गया। नियमानुसार शासन द्वारा श्रमिकों की आपूर्ति डूडा के अधीन कार्य करने वाली सी०एल०सी० (शहरी आजीविका केन्द्र) से लिये जाने के निर्देश हैं। उक्तानुसार कार्यवाही न कर शासन के निर्देशों के विपरीत कार्यवाही की गई। जाँच रिपोर्ट में अंकित तथ्यों से विदित होता है कि यह कार्य सी०एल०सी० (शहरी आजीविका केन्द्र) (डूडा) के स्थान पर ई-टेण्डरिंग के माध्यम से कराया गया।
वर्णित तथ्यों से प्रथम दृष्टया यह पुष्ट होता है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आपूर्ति हेतु श्रमिकों की आपूर्ति विषयक मै० जिया इन्टरप्राईजेज प्र०लि०, हाथरस का अनुबन्ध दिनांक 31.03.2019 को समाप्त होने के पश्चात भी नियमानुसा सी०एल०सी० (शहरी आजीविका केन्द्र) से न कराकर ई-टेण्डरिंग के माध्यम से कराया जा रहा है, जो शासन के आदेश के विपरीत है। उक्त कृत्य वित्तीय नियमों एवं समय-समय पर निर्गत शासनादेशों के विपरीत है। इस प्रकार उक्त कृत्य प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितता परलक्षित होती है।

बोर्ड स्वीकृति के बिना ठंडा पानी विक्रय में पाए गये दोषी

नगर पालिका हाथरस के अन्तर्गत ठण्डा पानी के विक्रय का ठेका दिये जाने में भारी अनियमतिता पाई गई। अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि निविदा एवं अनुबन्ध के अनुसार वाटर ए०टी०एम० की स्थापना न कराते हुए फर्म से पेयजल की सुविधा रिक्शा आदि के माध्यम से कराई गई तथा उसका भुगतान भी किया गया। इस प्रकार कार्य की प्रकृति परिवर्तित होने पर पृथक से बोर्ड की स्वीकृति व टेण्डर आदि की कार्यवाही नये सिरे से नहीं कराई गई, जो कि अनियमितता की श्रेणी में आता है। प्रस्तुत पत्रावली पर फर्म द्वारा बिड़ के समय जमा दस्तावेजों में मै० गर्ग इन्टरप्राईजेज प्र०लि० में श्री उपनीत गौड़, श्री धुपित अग्रवाल, श्री सुजीत कुमार पचौरी पार्टनर दर्शाये गये हैं। श्री ललित कुमार शर्मा का उल्लेख प्रस्तुत दस्तावेजों में नहीं किया गया।
अतः वर्णित तथ्यों के आलोक में जाँच समिति द्वारा उक्त आरोप में वर्णित कार्यवाही को अनियमितता की श्रेणी में पाया गया है।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा-48 की संगत धाराओं के अन्तर्गत आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप 07 दिन के अन्दर अपना साक्ष्यों सहित युक्ति युक्त स्पष्टीकरण / लिखित उत्तर शासन को उपलब्ध करायें। यदि निर्धारित अवधि में स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता है तो यह समझा जायेगा कि आपको इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहना है और मामले में उपलब्ध अभिलेखों तथा गुण-दोष के आधार पर उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा-48 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत आपके विरूद्ध कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी ।

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