सेवा भारती सासनी नगर का कवि सम्मेलन के साथ हुआ होली मिलन समारोह

सासनी / होली के पावन पर्व पर सेवा भारती नगर सासनी द्वारा राधे गार्डन में कवि सम्मेलन के साथ होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सेवा भारती के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने कवियों के संग होली के रंग में सराबोर होकर कवियों की कविताओं का खूब आनंद लिया । सेवा भारती के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेंद्र जैन ने की तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन वीरेन्द्र जैन व
एम पी सिंह ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का शुभारंभ
मुख्य अतिथि जिला प्रचारक धर्मेंद्र एवम् विशिष्ट अतिथि विभाग सेवा प्रमुख प्रचारक मनवीर द्वारा मां
भारती व सरस्वती के छवि चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण करने के बाद
सेवा भारती नगर सासनी
द्वारा आमंत्रित कवियों और उपस्थित अतिथियों
को धर्म पट्टिका भेंट की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक धर्मेंद्र द्वारा सारगर्भित बौद्धिक मैं प्राचीन पर्वों की यही सुंदरता है कि इनके पीछे छुपे पौराणिक राज हमें आकर्षित करते हैं। होलिका दहन का पर्व संदेश देता है कि ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।
होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।
भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में से एक है होली। दीवाली की तरह ही इस त्योहार को भी अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार माना जाता है। हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार को लेकर सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। लेकिन होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है। वैष्णव परंपरा मे होली को, होलिका-प्रहलाद की कहानी का प्रतीकात्मक सूत्र मानते हैं।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ
वीरेन्द्र जैन नारद की सरस्वती वंदना के सस्वर पाठ से हुआ।
तत्पश्चात उन्होंने सुनाया।
*तेरा मेरा साथ है दामन चोली का देखो बुरा न* *मानो हँसी ठिठोली का*
*रंगों की मस्त बहार है*
*मौसम होली का*
इसके बाद कवि विष्णु कुमार शर्मा ने सुनाया –
*होरी के हजार रंग एक रंग प्यार का प्यार से ही*
*गले से मिलाय देत होरी*
इसके बाद हास्य कवि वीर पाल सिंह वीर ने रस परिवर्तन करते हुए सुनाया *न रहा ना रहा है जमाना किसी का समझे न मोल कोई पैसे में किसी का*
इसके उपरांत रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया –
*रंग बिरंगे दीखते नेताओं के फेस होली में सब धुल* *गए घोटालों के केस*
नरेन्द्र मोहन गुप्ता अपने भाव यूँ काव्य बद्ध किए-
*राशन और सुशासन नेतिहास रच दिया मोदी* *और योगी ने विकास कर दिया*
इसके बाद गगन वार्ष्णेय ने सुनाया – **प्यार मैं बेशुमार करता हूँ तुझको*
*खोने से मैं तो डरता हूँ*
*दिल मेरा बाग बाग हो जाए तेरी गलियों से जब गुजरता हूँ*
इसके बाद बारी आई रवि राज सिंह की उन्होंने सुनाया –
*नाम और नामा कमाने* *लग गई हैं बीवियां रौब*
*पति पर ही जमाने लग गई हैं बीवियां*
इसके बाद अलीगढ़ से आए उभरते कवि अंकुर जी ने वीर रस की कविताओं का पाठ किया ।ऐम पी सिंह ने सुनाई –
*होली होली होकर भी*
*नहीं होय कभी भी होली*
*होली के नाम पे लोग करते कैसी आज ठिठोली* इसके बाद फूलों की होली में सभी ने गुलाल लगा कर होली की शुभ कामनाएं दीं। अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ होली मिलन का कार्यक्रम संपन्न हो गया।
कार्यक्रम में उपस्थित नगर एवम् खंड प्रचारक सासनी धीरज , जिला सेवा प्रमुख आलोक , नगर सेवा प्रमुख लालाराम , निर्देश वार्ष्णेय , संजय सेंगर , मधुर गुप्ता, विपुल लुहाड़िया , राकेश शर्मा , अनिल सेंगर, पंकज शर्मा, नीतू तोमर, भूप्रकाश आदि उपस्थिति रहे।

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