व्यंग्य ….पेट क्यों नही भरता?

डा यू एस गौड़
नारद जी पृथ्वी लोके जंबू दीपे, भरत खंडे, भू भाग का भ्रमण करते हुए निकल ही रहे थे कि उनकी दृष्टि मनुष्य रूप धारण किए,एक विशेष प्रकार के लोगों के समुदाय पर पड़ी और देखा वे श्वेत वस्त्र धारण कर जगह जगह समाज सेवा करते घूम रहे थे,स्वयं को लोक सेवी,कर्मठ,जुझारू, मानव मात्र के दुखों की निवृत्ति के लिए भगवान से भी लड़ने का संकल्प दोहरा रहे थे।नारद जी बड़े असमंजस में थे कि यह सब क्या हो रहा है ये तो विधि के विधान में सीधा सीधा हस्तक्षेप है आखिर ये हैं कौन ? किसके बलबूते इतना घमंड पाले हुए है?
नारद जी बड़े ही व्याकुल और असमंजस की स्थित में भगवान नारायण के पास पहुंचे और भरत खंड के भ्रमण का पूरा वृतांत भगवान बताया,भगवान बड़े जोर से हंसे ,नारद जी ने भगवान को पुनः चेताया और कहा बात को हंसी में मत उड़ाइए भगवन स्थित गंभीर है यह प्रजाति मेने कभी नही देखी बड़े ऊर्जावान लोग लगते है,इनके बारे में मुझे विस्तार से समझा कर मेरे भ्रम का निवारण करिए।
भगवान बोले सुनो नारद मनुष्यों में एक विशेष प्रजाति के है ये लोग, अब इनकी विशेषता संक्षिप्त में सुनो,ये दिखने में साधारण मनुष्य की भांति होते है,ये सदैव झूठ बोलते है,इनमे लेप्टिन नमक हार्मोन की कमी होती है इसके कारण इनका पेट कभी नही भरता,भोले लोगो से समर्थन रूपी वोट लेने के लिए ये इतना नाटक करते है और जनता का प्रतिनिधि बनकर सरकार में प्रवेश पाते है तदोपरांत जनता को नाना प्रकार से परेशान कर उनका धन लूटते है,फिर भी इनका पेट सदैव खाली ही रहता है,ये बड़े कुटिल और पापी प्रवृति के होते है,नारद बोले बस भगवन बस,अब और नही सुना जाता अब आप यह बताने का कष्ट करें की जनता इनसे अपनी जान कैसे बचाए? क्या आपके नाम के सहारे भी नही बचा जा सकता? नारायण मुस्कुराते हुए बोले वत्स दुखी मत हो,इनकी व्यवस्था भी प्रकृति में है,इनका समय अल्प होता है शीघ्र ही ये अपनी करतूतों से नष्ट हो जाते है, कभी कभी तो मेरी लीला से भ्रमित होकर ये स्वयं ही लड़ मरते है,।
नारद जी ने लंबी सांस खींचते हुए मुस्कुराकर कहा भगवान ये क्यों नहीं कहते की इकने पीछे भी आपका ही हाथ है,धन्य है आप और आपकी लीला नारायण,नारायण।

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