सौंदर्य ,व्यक्तित्व,और योग्यता को निखारने में सक्षम है होमियोपैथी

ज्यादातर चिकित्सा पद्धतियां रोग को समाप्त कर निरोगी काया प्रदान करती है किंतु होमियोपैथी इनसे कुछ अलग है होमियोपैथी संपूर्ण शरीर और उसकी क्रियाओं को संतुलित कर शरीर को निरोगी तो बनाती ही है साथ ही मन में सरलता का भाव ,व्यक्तित्व में निखार के साथ साथ सौंदर्य को भी बढ़ाती हैं,।
होमियोपैथी विशेषज्ञ डा यू एस गौड़ बताते है कि होमियोपैथी ही अकेली ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसका प्रभाव शरीर के अंगो की क्रियाओं को सुधारने ,तथा रोगग्रसित कोशिकाओं को पुनः क्रियाशील बनाने में सहायता कर उन्हे सदैव के लिए बलिष्ठ बना देती है यह चिकित्सा पद्धति रोगी को मानसिक,शारीरिक,सामाजिक,और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ बनाने में सहायता करती है।लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इसका प्रयोग लोग हार थक जाने अर्थात अंतिम स्थिति में करते है ऐसी स्थिति में जब अंग कार्य करने की स्थिति में ही नहीं होते ऐसी छिन्न भिन्न अवस्था में अंगो की कोशिकाओं की पुनर्स्थापना का कार्य कठिन हो जाता है फिर भी होमियोपैथी जहां से भी ठीक करने की गुंजाइश होती है ,उसे ठीक कर अपनी प्रामाणिकता को सिद्ध करती है, डा गौड कहते है कि यदि लोग इसे प्राथमिक चिकित्सा के रूप में प्रयोग करने लगें तो उनके बार बार बीमार होने की संभावना कम हो जायेगी।
सौंदर्य,हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है प्रसन्नता के समय चेहरे की त्वचा,में सामान्य से अधिक रक्त संचार होता है जिससे सभी प्रकार की बीमारियों से बचाव रहता है।होमियोपैथी का सिद्धांत शरीर को नहीं आत्मा (वाइटल फोर्स)को ठीक करने पर आधारित है ।इसीलिए होमियोपैथी का प्रभाव सबसे पहले मन पर पड़ता है ,मन के ठीक रहने पर शरीर के सभी अंग प्रत्यंग स्वत ठीक होने लगते है।
डा. नितिश
(होम्यो,प्रशिक्षु)

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