भागवत गीता मानवाधिकारों की जननी :गोविंद , एडीएचआर के तत्वाधान में मानव अधिकार सम्मेलन का आयोजित

हाथरस। मानवाधिकार पाश्चात्य अवधारणा है। हमारी भारतीय संस्कृति में यह अधिकार प्राचीन काल से ही मौजूद है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक हृयूमन राइट्स के तत्वावधान में मानव अधिकार दिवस के पर मानव अधिकार सम्मेलन का आयोजन प्रेमरघु पैरामेडिकल कालेज मे किया गया
सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विभाग प्रचारक हरिगढ़ गोविंद जी व जिला प्रचारक मुनेंद्र जी ने मां सरस्वती के छवि चित्र पर माल्यार्पण कर व सम्मुख दीपप्रज्वलन कर किया
विभाग प्रचारक गोविंद जी ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने का भरकस प्रयास किया। संविधान के भाग तीन में मानव अधिकार समाहित हैं।भारतीय संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है जो विश्व कल्याण के लिए कार्य करती है भागवत गीता मानवाधिकारों की जननी है जो व्यक्ति और प्रकृति के संरक्षण व पोषण का मार्ग प्रसस्त करती है
जिला प्रचारक मुनेंद्र जी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों को हमने देवी-देवताओं के रूप में पूजा है सनातन संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है
अध्यक्षता करते हुए प्रेमरघु डाइरेक्टर डा.पी.पी.सिंह ने कहा हमें अपने अधिकारों को पाने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहना चाहिए
संचालन करते हुए एडीएचआर राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति व दर्शन जीवन को धन्य करते हैं एडीएचआर अपने कार्यों के माध्यम से जन-जन की आवाज बनती रहेगी
प्रेमरघु के छात्र-छात्राओं ने नाटक के माध्यम से अपनी-अपनी प्रस्तुति दी
ब्लॉक प्रमुख गौंडा चौधरी नरेंद्र सिंह व जिलाध्यक्ष सौरभ सिघंल मंचासीन रहे
अन्त मे अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया
सम्मेलन में शैलेंद्र सांवलिया,टिंकू राना, सुनीत आर्य, डा. राजेश कुमार वर्मा, रमन माहौर, नवीन गुप्ता, अनिल अग्रवाल, अमन बंसल, भानु प्रकाश वार्ष्णेय, शैलेश अग्रवाल, उपवेश कौशिक, नमन खण्डेलवाल,अजय वार्ष्णेय आदि सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं मोजूद रहे

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