सर्दी की दस्तक नवंबर माह के द्वितीय सप्ताह से शुरू हो गई है, बदलता मौसम सदैव संक्रमण को जन्म देता है। कोरोना काल के बाद देखा जा रहा है की फेंफड़ों की कार्य शीलता में कमी आई है,बीते समय में रोग प्रतिरोधी कोशिकाओं को शरीर के अंदर बहुत काम करना पड़ा है इसलिए वे थक रही है साथ ही नवीन कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है फलस्वरूप पर्यावरण में व्याप्त छोटे बड़े संक्रमण के प्रभाव को नही रोक पाती हैं।
इस वर्ष साधारण खांसी भी साधारण दवाओं से नही ठीक हो पा रही है ।।कोरोना रोधी टीके से ,कोविड ग्रुप के ज्यादातर विषाणुओं का ह्रास तो हुआ है किंतु रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होने और फेंफड़ों के कमजोर होने से अन्य जीवाणु (बैक्टिरिया) जनित संक्रमण तेजी से बड़ रहे है,चिंता की बात यह है कि रोगी वैक्सीन लगवाने के बाद लापरवाह हो गए है और सर्दी ,खांसी की ज्यादा चिंता नही कर रहे जिससे बैक्टिरियल संक्रमण के रोगी बड़ रहे है,और आपातकाल स्थिति में पहुंच रहे हैं।
बच्चों के लिए भी यह मौसम अत्यंत कठिन है,सामान्य सर्दी जुकाम,खांसी भी बच्चों के छोटे छोटे फेंफड़ों को जकड़ कर सांस लेने में अवरोध उत्पन्न कर स्थिति को गंभीर बना सकती
है,अतः बच्चों कभी बारीकी से ध्यान रखना अति आवश्यक है।
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कैसे बचाव करें ?
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१) साधारण प्रतीत होने वाले सर्दी जुकाम खांसी के लिए भी चिकित्सक से परामर्श लें।
२) हल्की खांसी सर्दी में दवाओ की भरमार न करें।
३) खाने में प्राकृतिक ,इम्यूनिटी बूस्टर्स को उपयोग में लाएं ।
४) फास्ट फूड न लें।
५) फेंफड़ों के व्यायाम नियमित करें।
६) अस्पताल,मंदिर,या अन्य भीड़ वाली जगहों पर मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
७)घर से बाहर निकलते समय पर्याप्त ऊनी कपड़े, कान और सिर ढकने के लिए टोपा या मफलर का स्तेमाल करें।
८) ध्यान रखें बचाव ही सबसे पहली चिकित्सा है,बीमार होने पर चिकित्सा को मजबूरी समझें।
९) चिकित्सक से ही परामर्श के बाद दवा ले,अन्य लोगों के ज्ञान को प्रयोग में न लाए।
१०) जब तक बीमारी पूरी तरह ठीक न हो दवा बंद न करें।
११) बाइक पर सफर करने से पहले विंड शीटर हेलमेट का प्रयोग अवश्य करें।
होमियोपैथिक दवाएं, सर्दी जुकाम,खांसी,बुखार में अत्यंत लाभदायक होती है ये दवाएं बीमारी तो ठीक करती ही है साथ ही इम्यूनिटी को भी बढ़ाती है इसलिए होमियोपैथिक दवाओं का प्रयोग योग्य चिकित्सक के परामर्श से कर सकतें हैं। किंतु होमियोपैथिक दवाएं प्रत्येक रोगी के लिए समान लक्षण होते हुए भी अलग अलग होती है इसलिए लक्षणों को समान समझकर दवा भी समान न समझें।
डा यू एस गौड़
वरिष्ठ होम्यो चिकित्सक