प्रथ्वी दिवस पर विशेष – जगत जननी के संरक्षण का लें संकल्प

आज 22 अप्रैल विश्व प्रथ्वी दिवस के अवसर पर चिंतन करें कि प्रथ्वी मां की सेवा किस तरह कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं,किसी न किसी तरह हम जीवन पर्यन्त जननी को परेशान करते है किन्तु वो कभी अपना दुलार नहीं छोड़ती।
जगत जननी माता प्रथ्वी का प्राकट्य 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व हुआ था,तभी से भिन्न भिन्न प्रकार के जीव माता का स्नेह प्राप्त कर रहे है,किन्तु वर्तमान में जैसा बर्ताव हम माता के साथ कर रहे है वह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि मनुष्य ही बह प्राणी है जो माता के स्नेह का सबसे ज्यादा आकांक्षी है और बही स्नेह के बदले पीड़ा दे रहा है,चिंतन का विषय यह है कि मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो स्वयं को विद्वता में तो ईश्वर के भी निकट मानता है ,आज मां प्रथ्वी हमारे ही क्रिया कलापों के कारण कष्ट में है फलस्वरूप माता पर निर्भर सभी जीबों का जीवन अन्धकार में है।प्रथ्वी को आहत करने वाले जितने भी कारण है बे सभी मनुष्य के द्वारा ही रचे गए है।प्रकृति जितना हमारा संरक्षण करती है हम उतना ही अधिक उसका अनावश्यक दोहन करते हैं।
वे प्रमुख कारण जो प्रथ्वी को हानि अथवा क्षरण में अपना योगदान दे रहे हैं।
1) वायु प्रदूषण•• कारखानों का धुआं, वाहनों का धुंआ ,ध्वनि प्रदूषण,ब्रक्षों का निरन्तर क_
टान प्रथ्वी पर कार्बन डाई ऑक्साइड की ब्रद्धी कर रहा है जिसके करण वायुमंडल में व्याप्त गेसें असंतुलित हो रही है हानिकारक गेसों का दवाव बड़ रहा है और इसी के असंतुलन का प्रथ्वी पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है जिसे रोकने के लिए मनुष्य जाति को ही पहल करनी पड़ेगी।हमें अपनी तरक्की के साथ साथ जिन पर हम निर्भर है ( आकाश,वायु,जल,अग्नि प्रथ्वी,)उनकी चिंता भी करनी होगी।
2) बड़ती आबादी, जनसंख्या वृद्धि कम होते जीव जंतु,भी एक बड़ा कारण है जिससे प्रथ्वी का असंतुलन हो रहा है यह सर्व विदित है कि बड़ती जनसंख्या सदैव परेशानी का कारण बनती है
जिसे रोकना भी हमारी ही जिम्मेवारी है।
3)आतंकवाद , बढ़ता हुआ आतंक वाद न सिर्फ वैश्विक खतरा है वल्कि जगतजननी भी इससे आहत है रासायनिक हथियार का बढ़ना सीधे सीधे प्रथ्वी के ही विनाश का कारण बन रहा है क्योंकि उन हथियारों का प्रयोग तो प्रथ्वी के सीने पर ही होता है,अतः विश्व स्तर पर रासायनिक हथियारों की होड़ पर रोक लगनी चाहिए।
5)जल संकट,.आगामी विश्व युद्ध जल के लिए होगा ऐसा भविष्यबक्ता बताते है यह सच भी है क्योंकि जल दोहन की इतनी अति किसी युग में नहीं देखी गई जितनी अब है।अतः जल ब मृदा संरक्षण की सोच प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में रहनी चाहिए अन्यथा जीवन की कल्पना ही नहीं रह जाएगी।
6)ओजोन परत का क्षरण ,यह एक बड़ा कारण है जो प्रथ्वी के अस्तित्व के लिए खतरा बन रहा है विशेषज्ञ बताते है कि गत 100 वर्ष में प्रथ्वी का तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बड़ गया है फलस्वरूप ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे है और प्रथ्वी पर समुद्री जल बड़ रहा है यह क्रम ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन प्रथ्वी प्रलय के आगोश में चली जाएगी।
अतः हम सोचे समझें और संकल्प के साथ पहल करे जगत जननी के संरक्षण की।

डॉ यू एस गौड़
(सामाजिक विश्लेषक)
जिला सह संघचालक हाथरस

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