हाथरस । प्रदेश के हाथरस सहित 30 जनपदों के लिए 10 कीटनाशक 60 दिनों के लिए प्रतिबन्धित किये गये। उत्तर प्रदेश शासन कृषि अनुभाग-2 द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से जिला कृषि रक्षा अधिकारी राम किशन सिंह ने अवगत कराया है कि कीटनाशी अधिनियम 1968 (अधिनियम संख्या-46 सन् 1968) की धारा 27 की उपधारा (1) के अधीन प्रदत्त शक्तियों और इस निमित्त अन्य समस्त समर्थकारी शक्तियों का प्रयोग करते हुये राज्यपाल महोदया द्वारा अधिसूचना के गजट के प्रकाशन की दिनांक से साठ दिनों की अवधि के लिये उ0प्र0 राज्य के 30 जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरेया, बागपत, बरेली बिजनौर, बदायंू, बुलन्दशहर, एटा, कासगंज, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहॉपुर एवं सम्भल में बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल, ब्यूप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरोपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड एवं कार्बेण्डाजिम कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को प्रतिषिद्ध किया गया है, ताकि गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की जा सके।
कृषि विभाग द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रियॉए (एस0ओ0पी0) के माध्यम से जनपद के सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि कोई भी विक्रेता बासमती धान में लगने बाले विभिन्न प्रकार के कीटों और बीमारियों में प्रतिषिद्ध किये गये कीटनाशकों का प्रयोग न कराया जाय, यदि किसी विक्रेता द्वारा प्रतिषिद्ध किये गये कीटनाशकों की बिक्री करते हुये पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कीटनाशी अधिनियम के अन्तर्गत कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। सभी कीटनाशक विक्रेताओं को सलाह दी जाती है कि बासमती धान में सन्तुलित मात्रा में वैकल्पिक कीटनाशकों का प्रयोग करने, नियंत्रण की आई0पी0एम0 पद्धितियों का प्रयोग करने एवं जैव कीटनाशकों जैसेः- नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, ब्युवेरिया बेसियाना, स्यूडोमोनास, मैटाराइजियम, बी0टी0, एन0पी0वी0 की बिक्री को बढाया जाय तथा कुछ वैकल्पिक उपायों जैसे लाइट टेªप, फेरोमोन टेªप, स्टिकी टेªप और ट्राइकोकार्ड का प्रयोग कराया जाय।
जनपद के बासमती उत्पादक किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल पकने के एक माह पूर्व से कीटनाशकों का प्रयोग पूर्ण रूप से बन्द कर दे, जिससे कटाई के उपरान्त फसल में कीटनाशकों के अवशेष विद्यमान न रहें।