अन्तर्राष्ट्रीय शान्तिदूत पुरस्कार से सम्मानित डॉ0 दादी प्रकाशमणी का स्मृति दिवस ‘‘विष्व बन्धुत्व दिवस’’ के रूप में मनाया

हाथरस। सबके परमात्मा अलग-अलग हो सकते हैं। यह सच्चाई है कि सभी को एक दिन मरना है, सब मानेंगे। अब मरने के बाद की मान्यतायें जुदा हो सकती हैं। इसी तरह सफेद लिबास अच्छा है। दूसरे लिबास पर दाग धब्बे कम दिखेंगे, सफेद पर दूर से ही दिखाई देंगे। लेकिन सभी सफेद लिबास ही पहनें यह संभव नहीं हैं। विभिन्नता ही इस दुनिया की खूबसूरती है। इसे कायम रखें तो विष्वबन्धुत्व की भावना कायम रहेगी। दिवंगत आत्मा की खूबियों का वर्णन करने में समाज का हित है क्योंकि उससे गुणों की खुषबू फैलती है। उक्त विचार ऑल इण्डिया पयामे इंसानियम फोरम मौलाना मोहम्मद फुरकान नदवी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अलीगढ रोड स्थित शान्ति भवन, आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र पर ‘‘विष्व बन्धुत्व दिवस’’ के अवसर पर व्यक्त किये।
इससे पूर्व सनातन धर्म के प्रतिनिधि के रूप में पंडित बलराम दीक्षित ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पूज्यनीय दादीजी के गुण इसलिए इतने अधिक हो गये क्यों कि वे परमपिता के साथ थीं जो सद् चित आनन्द हैं। जैसे नदियाँ सागर की ओर चलती हैं हमें भी उस सभी गुणों के सागर की ओर चलना चाहिए। द्वितीय प्रतिनिधि के रूप में इंजीनियर जय प्रकाष गौतम ने कहा कि अच्छे चरित्रवान सन्तजनों के साथ रहने से अच्छाईयाँ और चरित्र बढ़ता ही जाता है।
कार्यक्रम का षुभारम्भ अतिथियों द्वारा ज्योति से ज्योति जलाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो गीत की मधुर ध्वनि के मध्य दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत बैज और पीतवस्त्र पहनाकर किया गया।
डॉ0 कपिल षर्मा ने कहा कि विष्व बन्धुत्व की भावना की विचारधारा अब वास्तविक रूप ले चुकी है। इसे हमने सम्मान, संवाद, सहयोग, षान्ति और समृद्धि के रूप में अपना लिया है।
काव्यांजलि देते हुए बी.के. पूजा बहिन ने सुनाया ‘‘मंदिर मस्जिद गिरिजाघर सिक्खों का हो गुरूद्वारा, इस धरती का कण-कण हमको अपने प्राणों से प्यारा’’।
कार्यक्रम संयोजिका और ब्रह्माकुमारीज की आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र की राजयोग षिक्षिका बी.के. षान्ता बहिन ने दादी प्रकाषमणी जी के साथ के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि दादीजी ने निमित्त, निर्मान और निर्मल वाणी को जीवन का अंग बनाकर संगठन को बुलंदियों तक पहुँचाया। बी.के. राकेष अग्रवाल ने भी दादी जी की विषेशताओं को सुनाया।
संचालन बी.के. दिनेष भाई एवं प्रबन्धन बी.के. दुर्गेष बहिन, बी.के. पूजा बहिन, बी.के. वन्दना बहिन, लक्ष्मी बहिन ने किया। प्रातःकालीन सत्र में सभी ब्रह्मावत्सों द्वारा पुश्पांजली दी गई।
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