रबी फसलों को पाले से बचाव हेतु कृषक भाई क्या करें राजेश कुमार जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने दी जानकारी

हाथरस । पाला पड़ने की सम्भावना होने पर हल्की सिचाई कर,ें जिससे भूमि का तापमान 0.5-2.02 डिग्री बढ जाता है। पाले से सर्वाधिक हानि नर्सरी में होती है, पौधों को पोलीथीन से ढ़क दंे परन्तु दक्षिण पूर्वी भाग खुला रखें ताकि नर्सरी में सुबह एव दोपहर की धूप मिलता रहें। खेत के उत्तर-पूर्व दिशा में रात को 10-12 बजे के बीच स्थानों पर कूड़ा-कचरा जलाये। स्थाई समाधान के लिये खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा मंे वायुरोधक वृक्षों की बाड तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है। पाले का प्रभाव दो सप्ताह तक रहता है, यदि इस अवधि में शीत लहर या पाले की सम्भावना हो तो गन्धक के अम्ल को 15-15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें, जिससे फसल पाले से बची रहती है साथ ही पौधों में लोह तत्व की सक्रियता बढ जाती है। जिन फसलों में पाला लग चुका हैं, उनमें रिकवरी हेतु एन0पी0के0 18ः18ः18 अथवा 19ः19ः19 अथवा 20ः20ः20 की 5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करे। घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत 3 ग्राम प्रति लीटर अथवा थायोयूरिया 4-5 ग्राम प्रति लीटर अथवा बेन्टीनाइट सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से मिलाकर छिड़काव करे। सल्फर डस्ट 8-10 किलोंग्राम प्रति एकड की दर से बुरकाव करें। म्यूरेट आफ पोटाश 150 ग्राम प्रति टंकी अथवा 1.5 किलोग्राम प्रति एकड की दर से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। तनु सल्फ्यूरिक अम्ल 15 एम0एल0प्रति टंकी की दर से प्रयोग करे।
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