हाथरस । राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन में प्रेमरघु पैरा मेडिकल आर्युवैदिक काॅलेज, हाथरस में एच0आई0वी0/एड्स दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जनपद न्यायाधीश, अध्यक्ष, सतेन्द्र कुमार के आदेशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वाधान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, अजय कुमार की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें पैरामेडिकल काॅलेज के डायरेक्टर, पी.पी. कुशवाहा, प्रभारी क्षय रोग विभाग, डा. प्रवीन कुमार भारती, डा. शालिनी कटियार आदि की उपस्थिति में शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उपस्थित पैरामेडिकल की छात्र/छात्राओं एवं उपस्थित जन को एच0आई0वी0/एड्स के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, अजय कुमार ने बताया कि एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है। रोग रोकथाम एवं निवारण केंद्र द्वारा एड्स के संभावित लक्षण बताये गए हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं है, में एड्स के लक्षणों की जाँच विशेष रक्त जाँच (सीडी$4 कोशिका गणना) के आधार पर की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण का अर्थ यह नहीं है कि वह व्यक्ति एड्स से भी पीड़ित हो। एड्स के लक्षण दिखने में 8 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है। एड्स की पुष्टि चिकित्सकों द्वारा जाँच के पश्चात ही की जा सकती है।
प्रभारी क्षय रोग विभाग, डा. प्रवीन कुमार भारती ने उपस्थित जन समुह को एचआईवी/एड्स के सम्बन्ध मेें जानकारी देते हुये बताया कि अधिकतर ये 14 से 21 वर्ष की उम्र के ज्यादा व्यक्तियों में देखा गया है। एचआईवी/एड्स ब्लड से, सैविंग से और अन्य प्रकार से होता है। किसी भी बीमारी के लिए इलाज से अधिक उसका बचाव आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जनपद हाथरस में सभी टी0बी0 मरीजों का एचआईवी टैस्ट किया जाता है, इसका इलाज एंव जाॅच निःशुल्क की जाती है। बीमारी रोकने से पहले सुरक्षा किया जाना आवश्यक है। इस बीमारी का इलाज बचाव ही है। व्यक्ति को अपने जीवन साथी के प्रति वफादार होना चाहिए।
छात्रा चैधरी, ने अपने वक्तव्य में बताया कि इलाज से ज्यादा सुरक्षा आवश्यक है, संक्रमण बीमारी है। इसमें बीमार व्यक्ति से भेदभाव नही करना चाहिए, बल्कि उसे आम व्यक्ति के तरह ही प्रेम से रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि माॅ को एचआईवी/एड्स है तो बच्चे को माॅ का दूध नही पिलाना चाहिए।
पैरामेडिकल काॅलेज के डायरेक्टर, पी.पी. कुशवाहा ने उपस्थित समस्त उपस्थित जन का अभार व्यक्त करते हुए यह भी बताया कि एचआईवी/एड्स एक्ट 2017 के अनुसार, किसी मरीज को उसकी सहमति के बिना एचआईवी टेस्ट या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
प्रेमरघु पैरामेडिकल काॅलेज के छात्र/छात्राओं रजनी, चंचल, साधना, सन्तोषी, अंजली, अलीशा, काजल ने नुक्कड नाटक के माध्यम से उपस्थित जन को एड्स के प्रति जागरूक करते हुए उसके बचाव एवं सावधानी से जागरूक किया।
विधिक साक्षरता शिविर का संचालन नर्सिंग ट्विटर शिवम शुक्ला, राजेश उपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर कई संस्थाओं के लोग एंव जनता उपस्थित रही।