उन्होंने अपने भावुक शब्दों से एक हो भारत को मजबूत करते रहने की भी अपील की
हाथरस। अगर आपको अमर रहना है तो ऐसा कुछ लिख दीजिए जो पढ़ने योग्य हो और ऐसा कुछ कर दीजिए जो लिखने योग्य हो।
यह उद्घोष 16 अक्तूबर को दिल्ली के संविधान भवन में उस वक्त लोगों की तालियों की बजह बन गये जब रामाधार सिंघल को ‘भारत के महारथी’ सम्मान के लिए उन्हें डाइस पर ससम्मान आमंत्रित किया गया और सम्मान के बाद उनको कुछ बोलने का आग्रह किया गया।
आपको बतादें कि पूरे देश भर से ऐसी प्रतिभाओं को हर वर्ष इस सम्मान के लिए चुना जाता है, जो थोड़ा अलग हटकर कार्य करते हैं जिससे देश और समाज में सकारात्मक संदेश जाता है। इस बार यह सम्मान श्री रामाधार सिंघल के रूप में हाथरस को मिला है। क्योंकि उन्होंने रामायण, भागवत सहित डेढ़ दर्जन से भी अधिक ग्रंथों को हाथ से ही सुंदर अक्षरों में कगज पर उकेर कर यह संदेश दिया है कि करने वाले को कोई भी चुनौती अदम्य (असंभव) नहीं है। आपको यह भी बतादें कि भारत की आई.बी.एस.ई.ए. संस्था हर वर्ष रामाधार सिंघल जैसी प्रतिभाओं को सम्मान देकर प्रतिभाओं का पराक्रम उजागर करती है।