हाथरस । तहसील सभागार कक्ष, सासनी में महिलाओं के हित संरक्षण कानून सम्बन्धी विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में महिलाओं को जागरूक किया।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश मृदुला कुमार के आदेशानुसार महिलाओं को संविधानिक और मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने हेतु अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, अजय कुमार की अध्यक्षता विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन तहसील सभागार कक्ष, सासनी में आयोजित किया गया, जिसमें उपजिलाधिकारी सासनी लवगीत कौर, तहसीलदार सासनी कीर्ति चौधरी, समाज कल्याण अधिकारी सरिता सिंह, महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम, संरक्षण अधिकारी विमल शर्मा, डा. रूचि, डा. रितू गोला, वन स्टॉप सेन्टर प्रभारी मनीषा भारद्वाज, नामिका अधिवक्ता तेजप्रकाश राना पराविधिक स्वयं सेवक आदि उपस्थित रहे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव ने जारूकता शिविर में उपस्थित महिलाओं को अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महिलाओं के हित संरक्षण कानूनों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं को समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अलग वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। भरण-पोषण अधिनियम, विवाह अधिनियम एंव महिलाओं की सम्पत्ति में अधिकार के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि महिलाऐं अपने पति से अपने गुजारा भत्ता हेतु भरण-पोषण अधिनियम धारा 125 के अन्तर्गत पाने की अधिकारी हैं। अगर कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो इसके लिए वह शिकायत दर्ज करवा सकती है। भारतीय कानून के अनुसार मां-बेटी, मां, पत्नी, बहू या फिर घर में रह रही किसी भी महिला पर घरेलू हिंसा करना अपराध है। रेप पीडित किसी महिला को मुफ्त में कानूनी मदद पाने का अधिकार दिया गया है। इस स्थिति में पुलिस थानाध्यक्ष के लिए जरूरी है कि वह लीगल सर्विस अथॉरिटी को सूचित करके उसके लिए वकील की व्यवस्था करें। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये सम्भव है।
उप जिला अधिकारी सासनी ने अपने वक्तव्य में संविधान में महिलाओं को सुरक्षा का अधिकार, शिक्षा का अधिकार पर जानकारी देते हुये कहा कि नारी सर्वशक्तिमान है, जो पुरूषों से कहीं अधिक सहनशीलता रखने में सक्षम है। आज भारत के कई प्रांतों में कन्या में कन्या लिंगानुपात काफी कम है। वहीं उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात कम है। तहसीलदार सासनी ने अपने वक्तव्य में पोक्सों एक्ट के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये कहा है कि पोक्सो विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड के मामले में कार्यवाही की जाती है। यह एक्ट बच्चों के सेक्युअल हैरेसमंेट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नाेग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस काननू के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। यदि अभियुुक्त एक किशोर (टीनएज) है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम में केस चलाया जाएगा। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि देश की हर महिला लीगल तौर पर अबॉर्शन कराने की हकदार है। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है, साथ ही जिस प्रेगनेंट महिला का मैरिटल रेप हुआ है, वो भी अबॉर्शन करा सकती हैं। वहीं अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को अबॉर्ट करने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला एसिड अटैक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। महिला कल्याण अधिकारी ने अपने वक्तव्य में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि भारत में कन्या भू्रण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग चयन की संभावनाओं के साथ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) पीसीसीपीटी अधिनियम के दायरे में आता है और इस पर प्रतिबंध है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपस्थित डा. रूचि कमल एवं डा. रितू गोला ने सर्वाइकल कैंसर के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में एक आम बीमारी के रूप में फैल रही है। सर्वाइकल कैंसर की बीमारी सामान्यत् यह बीमारी 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होती है। परन्तु यह देखा गया है कि 20 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का जोखिम रहता है। इस बीमारी की यदि प्रारम्भ में जानकारी हो जाती है तो 90 प्रतिशत तक मामलों में मरीज को बचाया जा सकता है। अतः इस बीमारी में जागरूकता ही बचाव है। परन्तु प्रारम्भ में यह बीमारी लक्षण प्रस्तुत नहीं करती है। बीमारी हेतु सुरक्षा एवं जागरूकता अत्यधिक आवश्यक है। इसमें बीमारी में विशेष रूप से एचआईवी 16 एवं एचआईवी 18 दो प्रकार के वायरस होते हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सभी महिलाओं को जागरूक होना आवश्यक है जिससे बचाव हो सके। वन स्टॉप सेन्टर की प्रभारी मनीषा भारद्वाज ने सरकार द्वारा जारी निःशुल्क हैल्पलाइन नम्बरों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये कहा कि किसी को कोई परेशानी,समस्या हो जाने पर आप तत्काल पुलिस सहायता हेतु टोल फ्री नं0 112 पर फोने कर पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते है, तथा महिला हैल्प लाइन नम्बर 1090 खास महिलाओं के शिकायत हेतु है, जिसमें अगर किसी महिला को कोई परेशान या छेडछाड या किसी महिला को कोई अन्य परेशानी हों तो वह निशुल्क हैल्प लाइन नम्बर 1090 डायल कर अपनी तथा दूसरों की सहायता कर सकती हैं। जिसका उस महिला का नाम गोपनीय रखा जाता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने वन स्टॉप सेन्टर के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। नामिका अधिवक्ता, तेजप्रकाश राना द्वारा अपने वक्तव्य में न्याय विभाग द्वारा संचालित टेली-लॉ स्कीम के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि टेली-लॉ मोबाईल एप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर टेली-लॉ पोर्टल पर लॉगिन कर घर बैठे किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता अथवा अपने गॉव या आस-पास के किसी भी जनसुविधा केन्द्र (कॉमन सर्विस सेन्टर) पर जाकर कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गरीब व्यक्ति, महिला एवं बच्चों, जातीय हिंसा, बाढ़, सूखा, एवं जरूरत मंद लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है। साक्षरता शिविरों के माध्यम से जनता को प्राधिकरण के उद्देश्यों की जानकारी देना, लोक अदालतों का आयोजन कराना, गरीब एवं पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना है। विधिक साक्षरता शिविर का संचालन महिला कल्याण अधिकारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर काफी संख्या में महिलायें उपस्थित रही।
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