निराश्रित आवारा पशु किसी भी दशा में खुले में घूमें:डीएम

हाथरस । तहसील समाधान दिवस के पश्चात् जिलाधिकारी अर्चना वर्मा ने विकास खण्ड सहपऊ के ग्राम पंचायत उघैना में अस्थाई श्री राधा माधव गौवंश आश्रय स्थल का औचक निरीक्षण कर यथास्थिति का जायजा लेते हुए शरद ऋतु से गौवंश के बचाव हेतु उचित प्रबंध करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने अस्थाई गौवंश आश्रय स्थल के संचालन, टीकाकरण, जियो टैगिंग, गौशाला में संरक्षित गौवंश के लिए पीने के पानी, टीनशेड, खाने के लिए हरा चारा एवं भूसे, गौ-शाला में संरक्षित किये गये गौ-वंश हेतु की गई व्यवस्थाओं आदि के बारे जानकारी की।
जिला विकास अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस गौवंश आश्रय स्थल का निर्माण कार्य जुलाई 2021 में प्रारम्भ किया गया था। इसका क्षेत्रफल 55 एकड़ है। पशुओं के हरे चारे हेतु लगभग 70 बीघे में नैपियर घास व बरसीम उगाई जायेगी। 05 शेड, चारा खाने पीन हेतु 07 नाद बनी हुई हैं। वर्तमान में गौशाला में 1072 गौवंश संरक्षित हैं। जिसमें से 512 नर तथा 560 मादा गौवंश संरक्षित हैं। जिनकी देखरेख हेतु 10 केयर टेकर सफाई कार्य में लगे हैं तथा 03 पशु चिकित्सक, 03 पशुधन प्रसार अधिकारी व 01 फार्मासिस्ट तैनात है। जिनके द्वारा संरक्षित गौवंश का नियमित रूप से टीकाकरण एवं स्वास्थ्य सेवाऐं उपलब्ध करायी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सूखा चारा (भूसा) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि जो गौवंश बीमार हैं जिन्हें अलग बाड़े में रखा गया है।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि गौशाला में गौवंश हेतु और अधिक सुविधाऐं उपलब्ध कराने हेतु अवशेष कार्यों के लिए कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। रिक्त स्थानों एवं खाई के चारो तरफ वृहद मात्रा में वृक्षारोपण कराने के निर्देश। गौशाला में समस्त गौवंशो के जियो टैगिंग कराने के और डाटा को ऑनलाईन फीड कराने के निर्देश दिए, जिससे कि यह सुनिश्चित हो जाये कि गौवंश किस गौशाला की है। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि निराश्रित आवारा पशु किसी भी दशा में खुले में घूमते नहीं पाये जाने चाहिए। उन्होने कहा कि जो पशु वर्तमान में गौशाला में रखे गये है उनके पीने के पानी एवं चारे तथा ठण्ड से बचाव के लिये उचित प्रबन्ध करने तथा नियमित रूप से टीकाकरण करने व लम्पी वायरस से बचाव हेतु टीकाकरण करने के निर्देश दिये। उन्होंने गौवंश के लिये पर्याप्त मात्रा में भूसे का स्टाक संरक्षित करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि किसी भी गौवंश के लिये चारे और पानी की कमी से मृत्यु नही होनी चाहिए।
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक, जिला पंचायतराज अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, ग्राम प्रधान तथा अन्य सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।
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