जनपद में डी.ए.पी. खाद एवं उर्वरकों की काला बाजारी पर लगाम लगाने को छापेमारी

हाथरस । जनपद में डी.ए.पी. खाद एवं उर्वरकों की काला बाजारी पर लगाम लगाने के दृष्टिगत जिलाधिकारी रमेश रंजन के कुशल मार्गदर्शन में संबंधित विभागीय अधिकारियों ने उर्वरक की दुकानों का औचक निरीक्षण किया गया।
दिनांक 20.11.2021 को जिला कृषि अधिकारी, आर.के. सिंह के द्वारा राजकीय कृषि बीज भण्डार, सादाबाद एवं सहपऊ का निरीक्षण किया गया एवं बीज वितरण की समीक्षा की गयी। सादाबाद क्षेत्र की बीज दुकानों से 35 बीज नमूने ग्रहीत किये। उप कृषि निदेशक कार्यालय में उर्वरक वितरण, राजकीय कृषि बीज भण्डारों से बीज उठान एवं पी0एम0 सम्मान निधि योजना की प्रगति समीक्षा बैठक क्षेत्रीय कर्मचारियों के साथ की।
दिनांक 20.11.2021 तक 23573 मीट्रिक टन फॉस्फेटिक उर्वरक की आपूूर्ति हो चुकी है तथा आज तक 21488 मीट्रिक टन खाद का वितरण हो चुका है। जनपद में 2085 मीट्रिक टन फॉस्फेटिक खाद की उपलब्धता है। सादाबाद, सासनी एवं सि.राऊ कृभको केन्द्रों पर उर्वरक आपूर्ति करने हेतु कृभको के अधिकारियों से वार्ता की गयी। सहकारी समितियों हेतु इफको डीएपी 3350 मै.टन की एक रैक हाथरस किला रैक प्वाइन्ट पर दिनांक 19.11.21 को रात में लगेगी, जिससे जनपद हाथरस को 2000 मै.टन का आवंटन हुआ है। मोजेक डीएपी की रैक कल जनपद एटा में लगेगी, जिससे 400 मै0टन जनपद को प्राप्त होगी। जनपद के सभी राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर गेंहूॅ का कुल 2285.00 कु. बीज की आपूर्ति हो गयी है। जिलाधिकारी के द्वारा सहकारी समितियों पर डीएपी आपूर्ति कराने हेतु 5000 मै.टन की मांग अपर मुख्य सचिव कृषि को भेजी गयी है। गेंहूॅं की प्रजाति एच.डी.2967, पी.बी.डब्ल्यू. 1जेड.एन., डब्ल्यूू.बी.2, डब्लू.एच.1124, एच.डी. 3086, पी0बी0डब्लू0723उन्नत 343 उपलब्ध हैं। गेंहूॅं बीज की बिक्री दर 3915.00 रूपये प्रति कुन्तल है, गेंहूॅं बीज पर अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान देय है, अनुदान डी0बी0टी0 के द्वारा कृषकों के खातों में भेजा जायेगा। कृषकों से अनुरोध है कि राजकीय कृषि बीज भण्डारों से गेंहूॅं का बीज प्राप्त करें।
कृषकों से अनुरोध है कि आलू की फसल हेतु डीएपी का उपयोग 14 कि.ग्रा. प्रति बीघा एवं एनपीके का उपयोग 20 कि.ग्रा. प्रति बीघा के हिसाब से ही करे, इससे अधिक मात्रा का प्रयोग करने पर उर्वरक खेत में व्यर्थ पड़ा रह जाता है। कृषक भाई डीएपी की जगह एनपीके का प्रयोग भी कर सकते हैं, जिसमें पोटाश की भी आवश्यकता नहीं होती है।

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