हाथरस। पुलिस और अधिवक्ता के मध्य सामंजस्य का मतलब है, न्याय को और मजबूती प्रदान करना। व्यवस्थायें ईगोहट से विगड़ती हैं। जो ना हीं किसी अधिवक्ता और ना हीं पुलिस के लिए उचित है। अगर ईगोहट को हटा कर समाधान पर आ जायें
तो निश्चित तौर पर एक बहुत अच्छा महौल अधिवक्ता-पुलिस के मध्य हो सकता है।
यह उद्गार डिस्ट्रिक्ट बार हाॅल में आयोजित पुलिस-अधिवक्ता समन्वय बैठक में अपर पुलिस अधीक्षक प्रकाश कुमार ने रखे। उन्होंने बताया कि जिला न्यायालय के लिए 26 पुलिसकर्मी, डेढ़ सेक्शन पीएसी जवान( करीब 14 पीएसी जवान) सुरक्षा में तैनात रहते हैं। जबकि 52 सीसीटीवी कैमरा में जिला एवं सत्र न्यायालय की हर क्षेत्र की सिक्योरिटी हर पल के लिए कैद रहती है। फिर भी वाहनों की आवाजाही में जो वाहन स्टैंड कर्मी की तरफ से त्रुटिपूर्ण कमी होती है, उसमें पुलिस अब और कड़ाई बरतने जा रही है। हालांकि बैठक की अध्यक्षता कर रहे अध्यक्ष वीरेश श्रोती जी ने तमाम मुद्दे एडिशनल साहब के समक्ष रखे। पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा जी ने विगत में हुई संगीन घटनाओं का स्मरण कराया। पूर्व अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा ने भी सुरक्षा को लेकर कई बिंदु अपर पुलिस अधिकारी के सामने रखे और इसमें अधिवक्ताओं से भी सहयोग की मांग की। इधर संचालन कर रहे बार के सचिव हितेंन्द्र सिंह गुड्डू ने अधिवक्ताओं पर हो रहे हमले और घटनाओं में निकल कर आई कमियों पर बारीकी से बात रखी। साथ ही हाथरस के जिला एवं सत्र न्यायालय पर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण को स्पष्ट किया इस।
मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके वर्मा, पूर्व सचिव नवदीप पाठक, एडवोकेट ऑर्गनाइजेशन के जिलाध्यक्ष त्रिलोकी शर्मा, उपाध्यक्ष राधेलाल पचौरी, भोला पंडित, सुधीर चौधरी, यतीश शर्मा, ललित उपमन्यु, पवन शर्मा, ठा. रवींद्र सिंह के अलावा संजय दीक्षित एडवोकेट आदि तमाम अधिवक्ता मौजूद थे।