जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने पुरूष व महिला बन्दीयों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना

हाथरस । राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के आदेश एवं जनपद न्यायाधीश मृदुला कुमार के निर्देर्शो के क्रम में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस श्रीमती चेतना सिंह, द्वारा जिला कारागार, अलीगढ़ में उपस्थित होकर माननीय उच्च न्यायालय में निरूद्ध सिद्धदोष बन्दियों की अपील योजित करने के सम्बन्ध में जेल अधिकारियों से जानकारी की।
जेलर प्रमोद कुमार सिंह ने अवगत कराया कि वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय में सिद्धदोष बन्दियों की अपील योजित करने हेतु कोई भी अपील जनपद हाथरस से सम्बन्धित लम्बित नहीं है तथा वर्तमान में जनपद हाथरस से सम्बन्धित कुल 1180 बन्दी निरूद्ध है, जिनमें 1123 पुरूष तथा महिलाएं 47 व किशोर (18 से 21 वर्ष) 10 व जनपद हाथरस की महिला के साथ 01 बच्चा हैं। निरूद्ध बन्दियों को अपने घर पर बात करने हेतु पी0सी0ओ0 लगा हुआ है, जिसमें दस फोनों की व्यवस्था की गयी है। निरीक्षण के समय बन्दियों से उनकी समस्या के बारे में पूछा गया जो उनके द्वारा कोई समस्या नहीं बतायी गयी। सभी बन्दियों के मास्क लगे हुये थे।
सचिव द्वारा पुरूष व महिला बन्दी से बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना तथा उनके निस्तारण हेतु जेलर को आवश्यक निर्देश दिये गये। निरीक्षण के समय कारागार में निरूद्ध बंदियों से उनकी तारीख पेशी एवं भोजन के सम्बन्ध में बन्दियों से जानकारी की। इसके अतिरिक्त बीमार निरूद्ध बन्दियों से उनके स्वास्थ्य के बारे में एंव उनको दी जाने वाली दवाइओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी ली गयी।
इसके अतिरिक्त माननीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देंशानुसार जिला कारागार, अलीगढ़ में महिला बंदियों के मध्य जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वावधान में एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन श्रीमती चेतना सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस की अध्यक्षता में किया गया। जेलर प्रमोद कुमार सिंह, डिप्टी जेलर सुरेश कुमार, राजेश कुमार राय एवं अघ्यापिका श्रीमती विनीता आदि की उपस्थिति में शिविर में उपस्थित महिलाओं एवं उनके साथ रह रहे बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सम्बन्ध में महिला बंदियों को जानकारी देते हुये बताया कि ऐसे मामलें जिनमें 07 साल से कम सजा है और बन्दी कुछ समय कारागार में व्यतीत कर चुके हैं वो जुर्म इकबाल का प्रार्थना पत्र देकर सुलह के माध्यम से केसांे का अन्तिम रूप से निस्तारण करा सकते हैं, क्यांेकि प्लीबारगेनिंग के अन्तर्गत छोटे मामले आते हैं। उन्होंने महिला बन्दियों को महिलाओं के अधिकार के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मद्द करती है। शिक्षा महिलाओं को जीवन के मार्ग को चुनने का अधिकार देने का पहला कदम है, जिस पर वह आगे बढ़ती है। शिक्षा महिलाओं को अपने काम में अधिक उत्पादकता देने में मद्द करती है एक शिक्षित महिला में कौशल सूचना प्रतिभा और आत्म विश्वास होता है, जो उसे एक बहतर मॉ, कर्मचारी और देश का निवासी बनाती है। उन्होंने महिला बन्दियों को निःशुल्क विधिक सहायत के बारे में जानकारी देते हुयु बताया कि यदि किसी बन्दी के पास पैरवी हेतु अधिवक्ता उपलब्ध नहीं है, तो वह कारागार अधीक्षक के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित कर निःशुल्क सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक माह जेल लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। जिसमें बन्दियों के लघु आपराधिक वादों का निस्तारण किया जाता है। इसके अतिरिक्त शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्रदान की गय।

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