माना लगती है सदा श्रेष्ठ स्वयं की चीज।
किंतु दूसरों के लिए मत बो विष के बीज।।
करो न स्वारथ के लिए औरों का अपमान ।
डरो प्रभू से , मत करो खुद अपना गुणगान ।।
करता है जो अत्यधिक खुद अपनी तारीफ ।
होती है उस व्यक्ति से जन-जन को तकलीफ ।।
बड़ा ग्रास खा ले मगर बोल बड़े मत बोल ।
खुल जाएगी अन्यथा तेरे ढोल की पोल ।।
पागल और नशेड़ीओ करो न तुम बकवास ।
ज्ञान बुद्धि कुछ भी नहीं बचा तुम्हारे पास ।।
हर डॉक्टर गजराज है चले श्रेष्ठ ही चाल।
व्यर्थ भोंकते जीव कुछ ठोकें अपनी टाल ।।
धन के लालच में पड़े कई मीडियाबाज ।
ज्ञान शून्य इंसान को बना दिया सरताज।।
डॉ मुरारीलाल
M.D. (Medicine)
हाथरस (उत्तर प्रदेश)
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