डॉ यू एस गौड़
वरिष्ठ होम्यो0चिकित्सक
होमियोपैथी चिकित्सा की एक ऐसी विधा है जहां आदतों को भी बीमारी मान कर उसका इलाज किया जाता है,जैसे कंजूसी,दबंगई,तनुकमिजाजी, गाली देना,गप्पे मारना,झूठ बोलना, मनघड़ंत बातें करना,बात करने में गर्दन हिलाना,अंगूठा चूस ना ,चल अचल वस्तुओं से ज्यादा लगाव रखना आदि सबको लोग आदत मानकर स्वीकार कर लेते है,लेकिन होमियोपैथी इन आदतों को बीमारी की जड़ मानती है ।
होमियोपैथी रिश्वत लेने और देने वाले दोनों को रोगी मानती है, होमियोपैथी के अनुसार रिश्वत लेने वाला व्यक्ति साइकोसिस मियास्म से पीड़ित होता है साइकोसिस मियाजम के कारण व्यक्ति की मनःस्थिति अनावश्यक भंडारण की बन जाती है इसी आदत को शरीर धारण कर खराब चीजों को संग्रहित करना शुरू कर देता है फलस्वरूप ट्यूमर,मोटापा, फेट्टी लिवर, डिसलीपिडमिया, ह्यदय रोग,आदि घातक बीमारियां शरीर में पनपने लगती है, इन बीमारियों का पूर्वानुमान सिर्फ कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक ही लगा सकते है और इस मिआजम को ठीक कर रिश्वत वाली आदत को समझ कर जड़ से समाप्त कर देते है जिससे न सिर्फ रिश्वत लेने की आदत छूटती है बल्कि भविष्य में आने वाली बीमारियां भी स्वतः ठीक हो जाती है ।
कुछ लोगों का तर्क होता है कि बे, रिश्वत के रुपयों को विलासिता में खर्च करते है घर में नहीं ले जाते ऐसी स्थिति में साइकोसिस के साथ सिफीलिस मिया ज्म् की भी उपस्थिति मानी जा ती है,जो और भी ज्यादा खराब है।
दूसरी ओर जो लोग रिश्वत देकर अपना काम करवाते है उन्हें साइकोसिस के साथ साथ सिफिलिस मियासम भी घेर लेता है,उपरोक्त सभी बीमारियों के साथ साथ ,केंसर ट्यूबरक्यूलोसिस, रीनल फेल्योर,हार्ट फेल्योर जैसी बीमारियां होने की प्रबल आशंका रहती है
इसे भी बीमारी का लक्षण समझ कर पहले से ही ठीक किया जा सकता है।