हाथरस। संस्कार भारती की एक आवश्यक बैठक आशुकवि अनिल बौहरे के रुई की मंडी स्थित जवाहर भवन आवास पर वरिष्ठ कवि श्याम बाबू चिंतन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक का शुभारम्भ सरस्वती वंदना के साथ किया गया। बैठक को सम्बोधित करते हुए संस्कार भारती के संरक्षक आशु कवि अनिल बौहरे ने कहा कि संस्कार भारती जल्द ही कार्यकारिणी का विस्तार पूर्ण कर आगे कार्यक्रमों को आयोजित करने की रणनीति तैयार करेगी। इस मौके पर संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष चेतन उपाध्याय की ताई के निधन पर उपस्थित लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर एक कवि गोष्ठी भी आयोजित की गई। कवि गोष्ठी में आशु कवि अनिल बौहरे ने “बेमेल विवाह घालमेल आरती, आह आह भूल रहे संस्कार भारती”, प्रभुदयाल दीक्षित ने “मां चन्दा मां चांदनी, मां सूरज मां धुप, मां जननी मां है गुरु मां ईश्वर का रूप”, पूरन सागर ने “आइये किसी की बेवजह मुस्कराने की वजह बने”, पंडित हाथरसी ने “ब्याह हमारौ भयो एक इंग्लिश मैम से”, सोनाली वार्ष्णेय ने “जिंदगी में उम्मीद की खिड़की को खुला रखिये, उलझनों की हवा तो आती जाती रहेगी”, जिलाध्यक्ष चेतन उपाध्याय ने “संविधान के मंदिर को तब मंडी बनाकर रखा था, लोकतंत्र को तब खादी ने बंदी बनाकर रखा था”, नवोदित कवि नैतिक दीक्षित ने “हां पता युद्ध के परिणाम होते हैं भयंकर” सुनाई। संचालन जिलाध्यक्ष चेतन उपाध्याय व पूरन सागर ने किया। इस अवसर पर डॉ सुनीता उपाध्याय, दीप्ति वार्ष्णेय, नवीन गुप्ता, प्रभुदयाल दीक्षित, नैतिक दीक्षित, पंडित हाथरसी, सोनाली वार्ष्णेय आदि उपस्थित थे।