फसल के बचाव हेतु बीज शोधन का विशेष महत्व :विभाति चतुर्वेदी

बीजशोधन का मुख्य उददेश्य बीज जनित/भूमि जनित बीमारियों के रोगाणु को नष्ट करना

हाथरस। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विभाति चतुर्वेदी ने जनपद के समस्त किसान भाइयों को सलाह दी है कि खरीफ 2025 में बोई जाने बाली फसलों की कीट, रोग, खरपतवार एवं चूहों से प्रतिवर्ष 15 से 20 प्रतिशत की क्षति होती है, जिसमें 20 प्रतिशत कीटों से, 26 प्रतिशत रोगों से, 33 प्रतिशत खरपतवारों से, 7 प्रतिशत भण्डारण से, 6 प्रतिशत चूहों/कृन्तकों से तथा 8 प्रतिशत अन्य कारणो से क्षति होती है। फसलों में बीज, मृदा, वायु एवं कीटों द्वारा रोग फैलते हैं। बीजर्/भूमि जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज शोधन का अत्यधिक महत्व है। उप कृषि निदेशक, हाथरस हंसराज द्वारा जारी बीज/भूमि शोधन कार्यक्रम अभियान जनपद में दिनांक 25-05-2025 से 25-06-2025 तक चलाया जा रहा है।
बीजशोधन:-
बीजशोधन का मुख्य उददेश्य बीज जनित/भूमि जनित बीमारियों को रसायनों एवं बायोपेस्टीसाइडस से शोधित कर बोने से बीजों एवं मृदा में पाये जाने बाले बीमारियों के रोगाणु को नष्ट करना होता है। धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूगफली, तिल, अरहर, मूॅग, उर्द आदि फसलों में मिथ्या कण्डुआ रोग, पत्तीधब्बा रोग, तुलाशिला, कोलर रोग, टिक्का रोग, उखटा, कण्डूआ आदि के नियत्रण हेतु थीरम 75 प्रति0 डब्लू एस 2.5 ग्राम, कार्बनडाइजिम 50 प्रति0 डब्लू पी, ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम, मेटालैक्सिल 35 प्रति0 डब्लू एस 6 ग्राम, कार्बाक्सिन 37.5 प्रति0 2 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 टेबुकोनाजोल 2 प्रति डीएस 2 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से उपचारित करें।
भूमिशोधन:-
खरीफ की फसलों को कीटों/रोंगों के प्रकोप से बचाने हेतु किसानों को खेतों की भूमि का बुवाई से अन्तिम जुताई के समय पूर्व शोधन करने की सलाह दी। इसके लिए जैविक कीटनाशकों जैसे ट्राइकोडर्मा को 2.5 कि0ग्रा0 प्रति हे0 की दर से 65-75 कि0ग्रा0 गोवर की सडी खाद में मिलाकर छायादार स्थान पर 8 से 10 दिन तक तैयार करके बुवाई से पूर्व खेत में डालना चाहिए। इससे भूमि जनित रोगों जैसे जड गलन, तनासडन, उकठा, झुलसा, डेम्पिगआफ आदि रोगों को नियंत्रण किया जा सकता है। इसी प्रकार व्यूवैरियाना वैसियाना को भी 2.5 कि0ग्रा0 प्रति हे0 की दर से गोवर की सडी खाद में मिलाकर छायादार स्थान पर तैयार करके भूमि जनित कीटों जैसे दीमक, सफेद गिडार, कटवर्म वीटल तथा सूत्र कृमिमो का नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।

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