हाथरस । जिला कृषि अधिकारी आर.के. सिंह ने अवगत कराया है कि माह सितम्बर तक डीएपी उर्वरक का लक्ष्य 12040 मी.टन के सापेक्ष 20213 मी.टन की आपूर्ति की जा चुकी है, 13195 मी.टन का वितरण हो चुका है, 7018 मी.टन डीएपी अवशेष है। एनपीके उर्वरक का लक्ष्य 3035 मी.टन के सापेक्ष 6615 मी.टन की आपूर्ति की जा चुकी है, 3559 मी.टन का वितरण हो चुका है, 3056 मी.टन एनपीके अवशेष है। जनपद में 16080 बोतल नेनो डीएपी, 1991 मी.टन एसएसपी उपलब्ध है। इफको डीएपी 2688 मी.टन की एक रेक हाथरस किला रेक प्वाइन्ट पर लग गयी है, जिसे जनपद की साधन सहकारी समितियों पर सीधे प्रेषित किया जा रहा है। 3100 मी.टन डीएपी सिकन्दराराऊ पीसीएफ गोदाम में भण्डारित है, जिसे समितियों को प्रेषित किया जायेगा। पीपीएल डीएपी 250 मी.टन एवं एनपीके 217 मी.टन अगरा रेक प्वाइन्ट से तथा 395.50 मी.टन आईपीएल डीएपी अलीगढ रेक प्वाइन्ट से प्राप्त हुआ है, जिसे निजी उर्वरक विक्रेताओं को प्रेषित किया जा रहा है। आलू की बुवाई शुरू होने में अभी 15-20 दिन हैं, आलू बुवाई से पूर्व पर्याप्त मात्रा में डीएपी की आपूर्ति हो जायेगी। आलू की फसल हेतु वैज्ञानिक संस्तुति के अनुसार 14 कि.ग्रा. प्रति बीघा, 175 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर डीएपी की आवश्यकता होती है। किसान भाई अधिकतम 20 कि.ग्रा. प्रति बीघा लगा सकते हैं, परन्तु किसानों के अनुसार 40-50 कि.ग्रा. डीएपी प्रति बीघा उपयोग में लायी जाती है। फसलों के द्वारा फॉस्फोरस उपयोग क्षमता मात्र 30-40 प्रतिशत ही है, बाकी डीएपी अघुलनशीन रूप में भूमि में पड़ी रह जाती है, जिससे फसलों की लागत में भी वृद्धि होती है। फसलों के लिए 16 तत्वों की आवष्यकता होती है, जिसमें से डीएपी से मात्र दो तत्व फास्फोरस एवं नाइट्रोजन प्राप्त होते हैं। एनपीके से तीन तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश प्राप्त होते है। कैल्सियम, मैगनिशियम, सल्फर, जिंक आदि अलग से फसल में लगाने होते हैं। किसान भाइयों से अनुरोध है कि वैज्ञानिक संस्तुति के अनुसार ही डीएपी एवं अन्य उर्वरकों का प्रयोग करें।
समस्त उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया गया कि स्टॉक पंजिका, विक्रय पंजिका तथा रसीद अनिवार्य रूप से रखे जाये। थोक/फुटकर उर्वरक विक्रेताओं तथा उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर उर्वरकों की उर्वरकवार बिक्री दर तथा स्टॉक का अंकन रेट एवं स्टॉक बोर्ड पर प्रतिदिन अंकित किया जाये। साथ ही कृषक की मांग के अनुसार ही जिंक, जाइम, सल्फर, माइक्रोन्यूट्रिएन्ट आदि उत्पाद कृषकों को उपलब्ध कराये। यूरिया, डीएपी के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग करने तथा निर्धारित दरों से अधिक बिक्री करने पर उर्वरक विक्रेताओं के विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी।
उर्वरक के सम्बन्ध में किसान भाइयों की समस्याओं के निस्तारण हेतु जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में कन्ट्रोल रूम के मोबाइल नम्बर 8126556290, 9410290381 एवं साधन सहकारी समितियों से सम्बन्धित शिकायत के सम्बन्ध में 8445341480 पर सम्पर्क किया जा सकता है।