मक्का एवं फसलों में फाल आर्मी वर्म नियंत्रण समय से करें : जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार

हाथरस । जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि किसान भाई मक्का एवं फसलों में फाल आर्मी वर्म नियंत्रण समय से करें।
कीट की पहचान- इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है, कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे दे देती है। इसकी मादा एकबार में 50-200 अण्डे एक से ज्यादा परत में अंडे देकर सफेद झाग से ढक देती है। अण्डे हल्के पीले (क्रीम कलर ) या भूरे रंग के होतेे है।fall army worm का लार्वा भूरा धूसर रंग का होता है तथा इसके पार्श्व में तीन पतली सफेद धारियॉ और सिर पर उल्टा अंग्रेजी अक्षर का (y) वाई दिखता है। शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार गहरे बिन्दु दिखाई देते है। अन्य खण्डों पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते हैं। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधों गोभी के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार अवस्था में पत्तियों में छिद्र एवं पत्तियों के बाहरी किनारों पर इस कीट द्वारा उत्सर्जित पदार्थाे से की जा सकती हैै। उत्सर्जित पदार्थ महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।
नियंत्रण- अण्ड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (7 से 9 बजे तक ) में 3 से 4 की संख्या प्रति एकड में प्रकाश प्रपंच लगाना चाहिए। 6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 35-40 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। प्रारम्भिक अवस्था में पौधो की गोभ में रेत+बुझा चूना को 9ः1 के अनुपात में मिलाकर बुरखाव करने से इस कीट के लार्वा/सूडी का प्रकोप कम हो जाता है। 5 प्रतिशत पौध तथा 10 प्रतिशत गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु एन0पी0वी0 250 एल0ई0 अथवा मेटाराइजियम एनिसोप्ली 5 ग्रा0प्रति ली0 अथवा वैसिलस थुरिनजैनिसिस (B.T) 2 ग्रा0 प्रति ली0 की दर से प्रयोग कराना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम ऑयल 5 मिली0 प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। 10-20 प्रतिशत क्षति की अवस्था में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस0सी0 0.4 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा इमामोक्टिन बेनजोइट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा स्पाइनोसैड 0.3 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा थायोमेथाक्सॉम 12.6 प्रतिशत+लैम्ब्डासाइहैलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत 0.5 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा बीटा-साइॅफ्लोथ्रीन 8.49 प्रतिशत+इमिडाक्लोप्रिड 19.81 प्रतिशत ओडी0 150 एम एल0 प्रति एकड अथवा क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 9.30 प्रतिशत+लैम्डा साइहेलोथ्रीन 4.60 प्रतिशत जैड0सी0 100 एम0एल0 प्रति एकड की दर से लगभग 200 लीटर पानी में घोल बनाकर सॉय के समय छिड़काव करना चाहिए।
नोट- कृषक भाई किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाट्सएप नं0 9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर 48 घण्टे के अन्दर निदान हेतु सुझाव प्राप्त करें तथा निकटतम विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क करे।
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