मौसम के बदलाव के कारण सरसों की फसल पर बीमारियों का प्रकोप होने की सम्भावना

हाथरस । राजेश कुमार जिला कृषि रक्षा अधिकारी और राम किशन सिंह जिला कृषि अधिकारी ने जानकारी दी है कि मौसम में अचानक आये बदलाव को देखते हुये जनपद के सरसों उत्पादक किसानों को सलाह दी जाती है कि जिस तरह का मौसम पिछले दो तीन दिन से चल रहा है उसमें सरसों की फसल पर बीमारियों का प्रकोप होने की सम्भावना बहुत बड़ गयी है। यदि इस तरह का मौसम कुछ दिनों रहता है तो सरसों की फसल में तना सड़न, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई और तुलासिया एवं माहॅू कीट के प्रकोप की सम्भावना बहुत अधिक रहेगी, जिन किसान भाइयों ने सरसों के बीज को बीज शोधन दवाई से शोधन कर नही बोया है। उन खेतों में प्रकोप अधिक मात्रा में दिखाई देगा, अधिक प्रकोप की दशा में पूरी फसल के नप्ट होने की सम्भावना है। सरसों की फसल में बीमारी के निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ने से पहले ही रसायन का छिड़काव करें।
तना सड़न बीमारी के लक्षण में पौधो के तनों पर उस भाग पर दिखई देते है जो भाग भूमि के सम्पर्क में रहता है वहॉ पर सबसे पहले प्रकोप होता है तना काला होकर सड़ जाता है। तने के आगे का भाग नप्ट हो जाता है, प्रकोपित खेतों से दुर्गन्ध आती है।
अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा बीमारी में पत्तियों और फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बनते है जो गोल छल्ले के रूप में पत्तियों पर स्पष्ट दिखाई देते है। तीव्र प्रकोप की दशा में धब्बे आपस में मिल जाते है, जिससे पूरी पत्ती झुलस जाती है।
सफेद गेरूई बीमारी में पत्तियों की निचली स्तह पर सफेद फफोले बनते है, जिससे पत्तियॉ पीली होकर सूखने लगती है। फूल आने की अवस्था में पुष्पक्रम विकृत हो जाता है, जिससे कोई भी फली नही बनती है। तुलासिता बीमारी में पुरानी पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे धब्बे तथा पत्तियों की निचली सतह पर इन धब्बों के नीचे सफेद रोयेदार फफॅूदी उग जाती है। धीरे-धीरे पूरी पत्ती पीली होकर सूख जाती है। माहॅू कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पीलापन लिए हुए हरे रंग के होते है। जो पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों का रस चूसकर कमजोर कर देते है। माहॅू मधुस्राव करते है, जिसपर काली फफॅूद उग आती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।
बचाव हेतू उपचार- बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तना सड़न, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई और तुलासिता बीमारी के नियंत्रण के लिए मैकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.0 किग्रा अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.0 किग्रा अथवा कापर ऑक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू0 पी0 की 3.0 किग्रा मात्रा को प्रति हैक्टेयर 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। माहॅू कीट से बचाव हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 अथवा क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ई0सी0 की 1.0 लीटर मात्रा को प्रति हैक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। एजाडिरेक्टिन नीम का तेल 0.15 प्रतिशत ई0सी0 205 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से भी प्रयोग कर सकते है।

error: Content is protected !!