हाथरस। चुनाव के समय दलबल करने वाले नेताओं को रोकने के लिए दल बदल कानून में संशोधन किया जाना परम आवश्यक है
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक हृयूमन राइट्स द्वारा राष्ट्रीय कार्यालय के दिशानिर्देशानुसार चुनाव सुधार अभियान की शुरुआत की।
एडीएचआर राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय व जिलाध्यक्ष सौरभ सिंघल ने जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में ओसी कलेक्ट्रेट राजकुमार यादव को मुख्य निर्वाचन आयुक्त
भारत निर्वाचन आयोग,नई दिल्ली के नाम ज्ञापन सौपते हुए मांग की कि संविधान के आदर्शों को पूरा करने और निष्पक्ष चुनाव कराकर सच्चे लोकतंत्र की अक्षरशः भावना को बनाए रखने के लिए भारत में चुनाव सुधारों की महती आवश्यकता है व्यापक चुनाव सुधार कर स्वस्थ और सच्चा लोकतंत्र की रक्षा एवं स्थापित कर सकेंगे चुनावी सुधारों की प्रक्रिया का मुख्य फोकस लोकतंत्र के मूल अर्थ को व्यापक बनाने के साथ-साथ नागरिकों अनुकूल होना चाहिए
चुनाव सुधारों के क्रम में दलबदलू, स्वार्थी राजनेताओं /उम्मीदवारों पर रोक लगनी चाहिए चुनाव के समय खरीद-फरोख्त कर जीतने वाले उम्मीदवार अथवा जातीय प्रभुत्व वाले उम्मीदवारों को अपने पाले में करना लोकतंत्र को खोखला बनाता है और जिस पार्टी में उम्मीदवार जाता है उस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के साथ धोखा और छल होता है जो पुराने कार्यकर्ता बरसों से पार्टी की सेवा/ कार्य करते हैं उनकी सेवा और कार्य पर बाहुबली /धनबली उम्मीदवार कब्जा कर लेते है ऐसी अराजकता को रोकने के लिए दलबदल कानून में व्यापक बदलाव की अति आवश्यकता है जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं के अधिकारों का संरक्षण हो सके दलबदल कानून में बदलाव के लिए हमारा सुझाव/मांग है कि
ज्ञापन में दलबदल को रोकने के लिए सुझाव दिया कि चुनाव के समय दलबल करने वाले नेताओं को रोकने के लिए दल बदल कानून में संशोधन किया जाना परम आवश्यक है पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवार कम से कम पार्टी का तीन वर्ष पुराना कार्यकर्ता होना चाहिए अथवा तीन वर्ष से कम पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होनी चाहिए सबसे पहले वह जिस पार्टी से चुनाव लड़ने जा रहा है उस पार्टी की कम से कम तीन वर्ष तक सेवा करें इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चुनावों के समय जो खरीद-फरोख्त, सौदे-बाजी, भागदौड़ की होड़ पार्टियों में आने जाने की लगी रहती है वह बंद हो जाएगी और आम जनता के साथ साथ जो पार्टी कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहा है उसको भी उम्मीद और न्याय मिलेगा कि उसको पार्टी उसकी सेवा के फलस्वरूप कभी भी उम्मीदवार बना सकती है जो कार्यकर्ता पार्टी की तीन वर्ष या उससे अधिक सेवा करेगा हो सकता है वह आम जन-मानस की सेवा अच्छी तरह से करें
साथ ही साथ नई पार्टी के पंजीकरण के समय उम्मीदवारी पर पांच वर्ष की छूट हो
इस नियम से देश के साथ-साथ सभी राजनीतिक पार्टियों को फायदा होगा और जो चुनाव के समय सौदेबाजी होती है उस पर भी रोक लग जाएगी
अंत में मांग की कि दल बदल कानून में संशोधन कर पार्टी के कम से कम तीन वर्ष पुराने कार्यकर्ताओं को ही उम्मीदवार बनाए जाने का प्रावधान किया जाए।