पूर्व सदस्य जिला पंचायत सुनीता कुमारी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
हाथरस। पूर्व सदस्य जिला पंचायत सुनीता कुमारी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हाथरस जनपद के महान स्वतंत्रता सेनानी मुंशी गजाधर सिंह की प्रतिमा सासनी कोतवाली के मुख्य चौराहे या केलोरा चौराहे पर स्थापित कराने और कलेक्ट्रेट परिसर के स्वतंत्रता सेनानी सभागार कक्ष में उनका छायाचित्र लगवाने की मांग की है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हाथरस जनपद के मुरसान के राजा महेन्द्र प्रताप जी के बाद मुंशी गजाधर सिंह का नाम जनपद के दूसरे सबसे बड़े स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में आता है। मुंशी गजाधर सिंह का जन्म हाथरस जनपद की सिकंदराराऊ तहसील के ग्राम खुशहालगढ़ के एक किसान परिवार में हुआ था । उन्होंने मुंशी गजाधर सिंह से सम्बन्धित कुछ ऐतिहासिक तथ्य का भी जिक्र पत्र में किया है। उन्होंने कहा है कि स्वतंत्रता आन्दोलन में मुंशी जी ने जिले में सबसे अधिक 06 वर्ष तीन माह का कारावास विभिन्न वर्षों और आंदोलनों में हुआ। इसी कारण नागरिक परिषद ,अलीगढ़ के तत्वाधान में भारत सरकार के तत्कालीन जहाजरानी मंत्री श्री राज बहादुर जी ने उनका नागरिक अभिनन्दन दिनांक 22-08-1973 को धर्म समाज कॉलेज अलीगढ़ में किया । इसी क्रम में अग्रवाल सेवा सदन – हाथरस में आयोजित कीर्तितीर्थ कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी को नमन करने के लिए दिनांक 07.07.2023 के उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री माननीय असीम अरुण व श्री चंपत राय जी ने मुंशी गजाधर सिंह के स्वतंत्रता आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान के लिए इनके परिजनों को सम्मानित किया गया।
मुंशी जी ने राष्ट्रीय असहयोग आन्दोलन में 1920-21 में भाग लिया और उन्हें हाथरस जनपद के ग्राम – शेखूपुर अजीत के विद्यालय से अध्यापक की नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम मे कूद पड़े और तभी से सभी आन्दोलनों में हिस्सा लिया और घर बार छोड़कर पूरे समय ही देश सेवा में लग गये। सन् 1937 में होने वाली ऐतिहासिक हरदुआगंज कान्फ्रेन्स का सेनापति बनाया गया जिसमें देश के सभी बड़े नेताओं ने भाग लिया।
राष्ट्रीय आन्दोलन की सक्रिय भागीदारी के कारण घर-गृहस्थी से बिल्कुल ही अलग पड़ गये। आन्दोलन के सिलसिले में जब वह सीतापुर जेल में थे, उनकी पत्नी एवं दो पुत्रियों का देहान्त हो गया। इसके अलावा मुंशी जी अपने परिवारजनों की मृत्यु अथवा जन्म पर जेल में ही रहे। मुंशी जी ने देश और समाज की सेवा में अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था।
देश की स्वतंत्रता के साथ ही शिक्षा के प्रसार और उसके उन्नयन की ओर सदा उनका ध्यान रहता था। नारी शिक्षा को वह बहुत ही महत्व देते थे। इसी कारण उन्होंने आजादी के बाद सन 1964 में ग्राम कौमरी में एक विद्यालय खोला जो आज मुंशी गजाधर सिंह जनता इंटर कॉलेज ग्राम – कौमरी जनपद- हाथरस के नाम से चल रहा है ।
मुंशी गजाधर सिंह के देहावसान के बाद हाथरस नगर पालिका ने उनकी राष्ट्रभक्ति का सम्मान करते हुए अलीगढ़-आगरा मार्ग पर एक सड़क का निर्माण उन्हीं के नाम पर करा दिया ।
पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हाथरस के एतिहासिक किले के मंदिर के द्वार पर संरक्षक के रूप में
मुंशी गजाधर सिंह का शिलालेख अंकित है।
उन्होंने पत्र में मुंशी जी की जेल यात्राओं का भी विवरण दिया है। उन्होंने पत्र में बताया है कि मुंशी जी को सन् 1929- अलीगढ़ कारागार 06 माह की सजा 50 रुपये जुर्माना। जुर्माना अदा न करने पर 06 सप्ताह की अतिरिक्त सजा ।
सन् 1930- अलीगढ़ कारावास जेल नं० 3516 धारा 6 में 6 माह की सजा 50 रुपये जुर्माना दिनांक 27-11-1930 को किया गया।
सन् 1932 – दिनांक 21-06-1932 को धारा 17 (2) 6-6 ए में एक साल कठोर कारावास व 50 रुपये जुर्माना अदा न करने पर 06 माह की सजा धारा 17 (1) में कैदी नं० 2378 था।
सन् 1940- जेल नं० 1810 धारा 108 सी०आर०पी०सी० सजा 01 वर्ष दिनांक 27-05-1940 को सुनाई गई।
सन् 1942- दिनांक 27-07-1942 को ही 34/38 डी० आई० आर० में 06 माह का कठोर कारावास फिर 26 डी० आई० आर० में अनिश्चितता में परिवर्तित की गई दो वर्ष बाद रिहा किया। मार्च 1945 में रिहा हुये। इसके अलावा भी वह जेल में गये जिनके प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
अतः देश के ऐसे महान सपूत के त्याग , तपस्या और बलिदान की याद को चिरस्थाई बनाने के लिये जनता की मांग पर उनकी प्रतिमा केलोरा के चौराहे या सासनी कोतवाली के चौराहे पर लगवाने की कृपा करें ताकि बहुत समय से चली आ रही जनता की मांग की पूर्ति हो सकेगी और देश की आजादी का सच्चा अमृत महोत्सव मनाया जा सकेगा।
इसके साथ कलेक्ट्रेट परिसर में बने हुए स्वतंत्रता सेनानी सभागार में मुंशी गजाधर सिंह का छायाचित्र लगवाने की कृपा करें यह छायाचित्र हम आपको उपलब्ध करा देंगे।