नारी सशक्तिकरण के लिये कार्य करने वाली देवेश्वर दंपत्ति को साहित्यकारों ने किया सम्मानित

पानी प्रबंधन कर नारी शक्ति को रोजगार दिलाया

हाथरस। मुक्ता ओझा राहुल देवेश्वर दंपति वह नाम है – जिसने मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में, जहां पर महिलाओं का पूरा दिन दूर से पानी लाने में ही लग जाता था, उन ग्रामों में घर घर पानी पहुंचाने के अभियान में अहम सहभागिता कर ग्रहणियों के गृहस्थ हेतु पानी लाने से बचे समय को अगरबत्ती आदि कुटीर उद्योगों में लगवाकर नारी सशक्तीकरण की दिशा में क्रान्तिकारी सामाजिक परिवर्तन किया है।
अवसर था इस अभियान के प्रमुख मुक्ता ओझा प्रैसीडैन्ट विकास धारा विधा महिला संस्थान तथा राहुल देवेश्वर सी ई ओ बुद्ध ज्योति फाउन्डेशन दम्पति के बृज कला केन्द्र हाथरस व्दारा उनके सम्मान में काव्य संध्या का।
बृज कला केन्द्र तथा राष्ट्रीय कवि संगम की तरफ से अंग बस्त्र उढ़ाकर दाऊ बाबा रेवती मैया का छवि चित्र एंव गैय्या बछडा पीतल मूर्ति भेंटकर सम्मानित किया ।
बेबी सभ्यता के मंत्रोच्चार तथा
बरिष्ठ कवयित्री मीरा दीक्षित व्दारा सरस्वती वंदना से प्रारम्भ हुई काव्य संध्या बृज कला केन्द्र अध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के संचालन में समस्त रस बर्षा से समां बांध गई।
कवयित्री मनु दीक्षित ने ओजस्वी वाणी में यूं पढा
रंग लायेगी मेहनत सवर तो कीजिए,
देखकर मुश्किलों को मन न मारिये।

काव्य पाठ करते वेदांजलि नै
गजल यूं पढी
चांदनी रात है,अब तो आ ही जाइये,
फिर न कहना कि सनम ने बुलाया नहीं ।

रूपम कुशवाह ने कहा
क्या लगेगी अंधेरों से मुझको नजर ,
रोशनी ने उतारी हैं बलाऐं मेरी।

सोनाली बार्ष्णेय की कविता यूं थी
बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया।
चक्कर लगा रही है हवा उसके आस पास।

आशु कवि अनिल बौहरे ने शब्दों को लेकर आशु कविता करते कहा
मैं तो इंतजार करता हूं,स्वाति नक्षत्र की उस बूंद का
जो सीप में पडते ही मुक्ता बन जाती है।

चाचा हाथरसी ने हास्य रचनाएं प्रस्तुत कर हंसाया

अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए श्यामबाबू चिन्तन ने अनेकों दोहे सुनाऐ तथा यूं कहा
जल की पूर्ति जो करै प्रभु का सच्चा दास,
इससे बढकर दान नहीं बुझाबै जो प्यास।

कवियों अतिथियों का सम्मान रचित शर्मा, कपिनरूला,सन्तोष उपाध्याय ने किया।
इस अवसर पर हरीशंकर वर्मा,वीना गुप्ता,नवल नरूला, राधाकृष्ण शर्मा, अविनाश पचौरी, सुनील दीक्षित,लक्ष्य बार्ष्णेय,प्रशान्त,नैतिक दीक्षित आदि उपस्थित थे।

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