हाथरस। सासनी के गांव नगला कस में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान भगवान श्री कृष्ण की रोचक कथाओं का वर्णन भागवताचार्य पंडित संतोष शास्त्री जी द्वारा बडे सरल स्वभाव के साथ किया जा रहा है। मंगलवार को कथा व्यास ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म कथा का बडा ही रोचक वर्णन किया।
कथा ब्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को खिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन प्रदुम कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई। कथा व्यास ने भक्तों ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का रसपान हर व्यक्ति को करना चाहिए। इस दौरान राजा परीक्षित बने सुनील कुमार सिंह एवं उनकी पत्नी रेखा सिंह, यज्ञपति रमेश्वर पंडित एवं उनकी पत्नी विमलीश देवी तथा राजेश, भरत, कपिल, धर्मपाल, संदीप, चटेन, ब्रजेश, तेजवीर, हरपाल सिंह, सतेंद्र सिंह, शेखर, गोलू, जिमिपाल पाल सिंह भक्त मौजूद थे।
वहीं दूसरी ओर गांव सिंघर्र सहजपुरा मार्ग स्थित श्री हनुमान जी मंदिर परिसर में श्री श्री मलूकापीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्र दास देवाचार्य के कृपापात्र महंत कथा व्यास श्री प्रहलाद दास जी महाराज ने कथा में बताया कि सत्संग करने से काम, क्रोध आदि दोष क्रमशरू मिटने लगते हैं, अन्याय पूर्वक झूठ, कपट, जालसाजी, बेईमानी से धन इकट्ठा करने की कामना खत्म हो जाती है। जो जितने का हकदार है उतना ही लेता है। इसके प्रभाव से दीन-दुखियों की सेवा में मन इस तरह से लगता है, जैसे वह खुद ईश्वर की सेवा कर रहा हो. संत के दर्शन, स्पर्श मात्र मात्र से जीवन में प्रकाश भर आता है। इसलिए तो भगवान नारद ने कहा है कि महापुरुषों का संग दुर्लभ, अगम्य और अमोघ है। इस दौरान गुरूजी सियाराम दास जी महाराज, परमानंद कठिया बाबा, रूदायन भट्टा श्री हनुमान जी मंदिर वाले राजू बाबा, एवं राजा परीक्षित की भूमिका में हरीसिंह मामा एवं उनकी पत्नी तथा तमाम ग्रामवासी मौजूद थे।