प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों के उत्पीड़न को लेकर एडीएचआर ने कलेक्ट्रेट प्रभारी को सौपा ज्ञापन ,कार्यवाही की मांग

प्राइवेट स्कूलों द्वारा हर वर्ष पाठ्यक्रम बदलना, बेहताशा फीस वृद्धि व अन्य एक्टविटी के नाम पर अविभावकों का आर्थिक शोषण के खिलाफ एडीएचआर ने शुरू किया आंदोलन
हाथरस। जनपद हाथरस मे प्राइवेट स्कूलों द्वारा हर वर्ष पाठ्यक्रम बदलना, बेहताशा फीस वृद्धि व अन्य एक्टविटी के नाम पर अविभावकों का आर्थिक शोषण किये जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स द्वारा एक ज्ञापन जिलाधिकारी राहुल पांडेय की उपस्थिति में कलेक्ट्रेट प्रभारी उपजिलाधिकारी मनीष चौधरी को दिया
राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय ने जिलाधिकारी राहुल पांडेय को बताया कि प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा अविभावकों का जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है वेहताशा फीस वृद्धि, हर वर्ष पाठ्यक्रम बदलकर आदि अंयत्र साधनों से मनमानी की जा रही है चुनिंदा दुकानों को ठेका देकर अविभावकों को खरीदने को मजबूर किया जाता है
इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने वह अभिभावकों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश,2018 लाया गया उसके वावजूद भी प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा अध्यादेश का खुला उल्लंघन कर रहे है
यह है कि प्रमुख रूप से सेंट फ्रांसिस स्कूल, हाथरस व बीएलएस इंटरनेशनल स्कूल, हाथरस द्वारा जमकर शोषण किया जा रहा है
यह है कि फीस वृद्धि उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश,2018 के अनुरूप होनी चाहिये फीस वृद्धि का आधार शिक्षा सत्र 2015-2016 को मानकर ही निर्धारण होना चाहिए इसके अपितु फीस शिक्षा सत्र 2025-2026 मे फीस लगभग दोगुना (30%-50%) किन मापदण्डों के अनुसार हो गई है
यह है कि प्रत्येक वर्ष पाठ्यक्रम बदलकर अविभावकों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है प्रत्येक वर्ष पाठ्यक्रम बदलने का क्या कारण है एक वर्ष मे भारत वर्ष में क्या बदलाव आ जाता है जो पाठ्यक्रम बदलना पडता हैं जो अभिभावकों पर आर्थिक बोझ के रूप में पड़ता है स्कूल संचालक प्राइवेट राइटरो से मोटा कमीशन लेकर राइटरों के नाम बदल कर अभिभावकों को हर वर्ष कोर्स खरीदने पर मजबूर किया जाता है छोटे से छोटे बच्चों का कोर्स 3000-4000-10000 ₹ हजार रुपयों का आता है जिसमें देखा जाता है कि बहुत पतली पतली किताब है ढाई -ढाई, तीन-तीन,पांच-पांच सौ रुपए की प्रिंट होकर आती है यह सिर्फ और सिर्फ अभिभावकों को लूटने का कार्य है
केंद्र की ईकाई एनसीआरटी का सिलेबस क्यों नहीं पढाया जाता है- भारत सरकार की इकाई एनसीईआरटी की एक बुक भी किसी स्कूल में नहीं लगाई जाती है इससे पता चलता है कि भारत सरकार की इकाई का महत्व इन प्राइवेट स्कूल संचालकों के मन में कुछ भी नहीं है अगर यह लोग एनसीईआरटी पुस्तकों के माध्यम से पढ़ाई करेंगे तो इनका मोटा धंधा बंद हो जाएगा
अंत में मांग की कि पाठ्यक्रम बदलने पर पूर्णतय: रोक लगाकर पुराने पाठ्यक्रम से ही पढाई कराने
एवं एनसीआरटी के पाठ्यक्रम से ही स्कूलों में पढाने के दिशा-निर्देश जारी किए जाये साथ ही साथ फीस उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश,2018 के अनुरूप शिक्षा सत्र 2015-2016 को आधार मानकर ही ली जाये और अध्यादेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ अध्यादेश के अनुरूप कार्यवाही करने की मांग रखी गई
जिलाधिकारी राहुल पांडेय ने सुनकर कहा कि स्कूल संचालकों से पूछा जायेगा कि किस नियम के तहत फीस वृद्धि और सिलेबस बदला गया है उसके बाद कार्यवाही की जायेगी
ज्ञापन देने वालों में राष्ट्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र गोयल, जिलाध्यक्ष उपवेश कौशिक,समाजसेवी रवि चौहान, जिला महासचिव शैलेन्द्र सांवलिया, जिला कोषाध्यक्ष कमलकांत दोबरावाल,निशांत उपाध्याय,राजेश वार्ष्णेय, संदीप गुप्ता, अमन बंसल, सौरभ अग्रवाल, निपुण सिंघल, अनिल अग्रवाल, रवि गुप्ता, राजकुमार शर्मा, आयुष अग्रवाल, केशव अरोड़ा, अमित गर्ग,दीपक अग्रवाल, आलोक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे

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