महाबोधि मंदिर एक्ट रद्द करने को सौंपा ज्ञापन

हाथरस। महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 को रद्द करने की मांग को लेकर बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। संगठन ने – राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा। संगठन का कहना है कि यह कानून बौद्धों ने नहीं, बल्कि ब्राह्मणों ने अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए बनाया था। इस एक्ट के कारण महाबोधि महाविहार पर ब्राह्मणों का अनुचित – कब्जा हो गया है। यह अंतरराष्ट्रीय धरोहर कानून का भी उल्लंघन करता है। संगठन ने मांग की है कि नए एक्ट में सभी सदस्य बौद्ध समुदाय से होने चाहिए। उन्होंने महाबोधि महाविहार परिसर में शिवलिंग की स्थापना और दीवार पर पांडवों का उल्लेख करने पर आपत्ति जताई है। संगठन का कहना है कि फाह्यान और हवेनसांग के यात्रा वृतांत और उत्खनन रिपोर्ट से साबित होता है कि यह स्थल मूल रूप से बौद्धों का है। ज्ञापन में महंत की कोठी में रखी सैकड़ों बुद्ध प्रतिमाओं, शिलालेखों और अभिलेखों को
एएसआई के बोधगया संग्रहालय को सौंपने की मांग की गई है। संगठन ने ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी रखी है। इस मौके पर मुख्य रूप से राकेश कुशवाहा, राजेंद्र सिंह, जगदीश आर्य, राम सिंह आदि काफी लोग मौजूद रहे।

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