हाथरस । आर0 के0 सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी हाथरस ने बताया कि जनपद में प्रति वर्ष फसलों में कीट, रोग, खरपतवार आदि के द्वारा कुल उपज की लगभग 07-25 प्रतिशत क्षति होती है जिसमें लगभग 33 प्रतिशत खरपतवारों से, 26 प्रतिशत रोगों से, 20 प्रतिशत कीटों से, 7 प्रतिशत भण्डारण के कीटों से, 6 प्रतिशत चूहों से तथा 8 प्रतिशत अन्य कारणों से होती है। इस में सबसे अधिक 33 प्रतिशत खरपतवारों द्वारा फसल उत्पादन में क्षति होती है। जनपद हाथरस में खरीफ फसलों में धान एक प्रमुख फसल है जिसका आच्छादन क्षेत्रफल लगभग 23996 है0 है। इसकी बुवाई/रोपाई का कार्य अब समाप्ति की ओर है। किसान भाइयों को धान की फसल में खरपतवार नियत्रंण हेतु निम्न उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।
धान की फसल में दो प्रकार के खरपतवार पाये जाते हैं। 1 सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – सॉवा, मकरा, मौथा, कौदों, दूबधास, जंगली धान आदि। 2 चौडी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – जंगली मिर्च, पान पत्ती, फूलबूटी, साथिया, जलकुम्भी, जंगली बकव्हीट इत्यादि।
खरपतवार नियत्रंण/प्रबन्धन – 1 श्रमिकों द्वारा खुरपी से निराई/गुडाई करनी चाहिए। 2 धान की रोपाई के 21-25 दिन बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए बिषपायरी बैक सोडियम 10 प्रति0 एस0सी0 रसायन की 200 से 250 एम0एल0 मात्रा प्रति0 है0 की दर से खेत में नमी की दशा में लगभग 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। 3 धान में चौडी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु रोपाई के 20-25 दिन बाद 2,4,डी रसायन की 625 ग्राम मात्रा प्रति है0 अथवा मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 प्रति0 डब्लू0पी0 की 20 ग्राम मात्रा प्रति है0 की दर से लगभग 500 ली0 पानी में घोलकर बनाकर छिडकाव करें। 4 संकरी एवं चौडी पत्ती वाले खरपतवारों के नियत्रंण हेतु मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 10 प्रति0 $ क्लोरोमुरान एथिल 10 प्रति0 डब्लू0पी0 की 200 ग्राम मात्रा प्रति0 है0 की दर से फ्लैटफैन नौजिल से लगभग 500 ली0 पानी में घोलकर रोपाई के पश्चात 35 से 40 दिन तक छिडकाव करें।