हाथरस। आज काका हाथरसी का आवागमन दिवस ब्रज कला केन्द्र तथा काका स्मारक आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्री राधाकृष्ण कृपा भवन आगरा रोड पर मनाया गया। कार्यक्रम का संयोजन ब्रज कला केन्द्र के अध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य तथा संचालन आशु कवि अनिल बौहरे ने किया। सुरेन्द्र बांठिया की अध्यक्षता में हुऐ कार्यक्रम में आशु कवि अनिल बौहरे ने काका के संघर्ष गाथा सुनाई।काका के पिता शिवलाल की प्लेग से जब मृत्यु हुई काका मात्र 15 दिन के थे। इसके बाद काका की मां अशर्फी देवी काका को इगलास अपने मायके ले गयीं। बहीं ननिहाल मे मां के पास काका तथा उनके बड़े भाई भजनलाल का लालन-पालन हुआ। काका तथा वीरैन्द्र तरुण कवियों का पहला दल था जिसने विदेशी धरती पर काव्य पाठ करने का अवसर पाया था। काका की ईमानदारी तथा सत्य जीवन जीने की चर्चा की गई। काका की प्रमुख रचनाएं दहेज की बारात,कालेज स्टूडेंट आदि का कवियों तथा संस्था सदस्यों ने काव्यपाठ कर आनंदित किया।
काका की रचनाओं का काव्यपाठ कवयित्री मीरा दीक्षित,रूपम कुशवाह,वीना गुप्ता एडवोकेट,बाला शर्मा,सुचेता ज़ोन, प्रेमसिंह यादव,श्याम बाबू चिंतन, विद्यासागर विकल, प्रभूदयाल दीक्षित प्रभू , गोपाल चतुर्वेदी,ग़ाफ़िल स्वामी,पं ऋषि कुमार कौशिक, पं अविनाश पचौरी,पूरन सागर,दीपक रफी, हेमेंद्र कुमार, जीवनलाल शर्मा आदि थे। कार्यक्रम की व्यवस्था कपिल नरूला, सन्तोष उपाध्याय, पीयूष अग्निहोत्री आदि ने की। अध्यक्ष सुरेंद्र बांठिया ने काका के संस्मरणों को सुनाया। आशु कवि अनिल बौहरे के संचालन उपरान्त चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने आभार प्रकट किया।