वीर सांवरकर ने हिन्दू समाज को संगठित कर कुरूतियों का किया था विरोध-नीरज के शर्मा

हाथरस। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनपद हाथरस द्वारा उनके जीवन पर एक ऑनलाइन बौद्धिक का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता जनपद शिक्षा एवं विद्यार्थी विभाग के ज़िला प्रमुख शिक्षाविद् नीरज के शर्मा रहे। अपने वैद्धिक में नीरज के शर्मा ने वीर सावरकर के जीवन को दो भागों में बांटने हुए बताया कि अपने जीवन के पूर्वार्द्ध में उन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध सशस्त्र संघर्ष का श्रीगणेश किया। उन्होंने मित्र मेला एवं अभिनव भारत जैसे संगठनों की स्थापना की एक अनेक उत्साही युवाओं को उससे जोड़ा। मदन लाल धींगरा तथा लक्ष्मण कन्हरे जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया जिन्होंने क्रमशः विलियम कर्ज़न वाइली तथा नासिक के कलेक्टर जैक्सन की राजनीतिक हत्या की थी। लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा के इंडिया हाउस को उन्होंने क्रांतिकारियों के ट्रेनिंग सेंटर में बदल दिया था। 1910 में गिरफ्तारी के बाद वे फ्रांस के मर्सेल्स में जहाज़ से समुद्र में कूद कर भाग निकले थे परन्तु पकड़े जाने के बाद उनसे आतंकित अंग्रेज़ी सरकार ने उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अंडमान की सेल्यूलर जेल में डाल दिया था जिसे उस समय सजा ए कालापानी कहा जाता था। 1922 में उन्होंने जेल में ही इसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व नाम की पुस्तक की रचना की थी जिसे आज आधुनिक हिंदुत्व का एक प्रमुख आधार माना जाता है। 1924 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने अपना शेष जीवन हिन्दू समाज को संगठित करने, महिलाओं के जीवन का उत्थान करने, छुआछूत मिटाने इत्यादि में लगाया तथा हिंदुत्व को मात्र किसी जाति तथा कर्मकांड से बांधने का विरोध किया।
नीरज के शर्मा ने बताया कि समाज में उनके कई कार्यों को लेकर भ्रम की स्थिति रही है लेकिन किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने से पूर्व उनके जीवन को समग्रता देखने और उनके कार्यों के प्रति की नीयत को समझने की आवश्यकता है।

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