जिलाधिकारी ने फसल बीमा प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

हाथरस । प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में आज जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार तथा अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) जे0पी0सिंह ने संयुक्त रूप से कलेक्ट्रेट परिसर से फसल बीमा प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। जिलाधिकारी ने बीमा कम्पनी के प्रमिनिधि से वार्ता करते हुए विस्तार पूर्वक जानकारी ली।
उप कृषि निदेशक एच0 एन0 सिंह ने बताया कि प्रचार वाहन जनपद के सभी विकास खण्डों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रचार-प्रसार करेगा, जनपद में फसल बीमा योजना का कार्य बीमा कम्पनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। उन्होने कहा कि जनपद में रबी फसल के गेंहूँ, राई/सरसों, जौ, आलू फसल का बीमा कराया जा सकता है। जिसका प्रीमियम कृषकों को 1.5 प्रतिशत देना होगा। फसल बीमा कराने की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर, 2020 है। भारत सरकार ने अब फसल बीमा योजना को इच्छुक कर दिया है, कृषक यदि फसल बीमा नहीं कराना चाहता है तो वह 24 दिसम्बर, 2020 तक अपनी बैंक शाखा को आवेदन कर सकता हैं जिससे कृषक का प्रीमियम न कटे, यदि कृषक बैंक को सूचना नही देता है तो उसका प्रीमियम बैंक द्वारा काट लिया जायेगा।
उप कृषि निदेशक ने योजना के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन सम्बन्धी अधिसूचना रबी 2020-21 जारी कर दी गई है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में योजना के क्रियान्वयन हेतु एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (ए0आई0सी0) को जिले के लिए अधिकृत किया गया है। योजना के अन्तर्गत प्राकृतिक आपदाओं यथा सूखा, सूखे की अवधि, बाढ़, ओला, भूस्खलन, तूफान, चक्रवात, जलभराव, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग एवं रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों-रोगों/कृमियों से क्षति की स्थिति के कारण बीमित फसल में नुकसान होने से उपज में कमी होने पर योजना के प्रावधान एवं राज्य अधिसूचना के नियमानुसार क्षतिपूर्ति देय होती है। रबी 2020-21 के अंतर्गत ए.आई.सी. के अधिकृत जिलों के अधिसूचित फसलों में बीमा के लिए कृषकों द्वारा देय प्रीमियम दर बीमित राशिका 1.5 प्रतिशत है। अधिसूचित सभी जिलों में फसल आलू के लिए प्रीमियमदर बीमित राशिका 5 प्रतिशत है। बीमा आच्छादन की प्रक्रिया ऋणी कृषक वित्तीय सस्थाओं (व्यवसायिक/ग्रामीण/सहकारी बैंक/पैक्स/अन्य संबन्धित वित्तीय संस्थायें) द्वारा अधिसूचित फसल के सापेक्ष मौसमीय कृषि प्रचालन ऋण/के0सी0सी0 ऋण की स्वीकृत सीमा को सम्बन्धित संस्था द्वारा नियमानुसार अच्छादित किया जायेगा। बैंकों में प्रचलित व्यवस्था के अनुरूप अधोमानक के0सी0सी0/फसली ऋण को योजना में अच्छादित नहीं किया जायेगा, यद्यपि ऐसे कृषक गैर ऋणी कृषक के रूप में अपनी अधिसूचित फसल का बीमा करा सकते हैं। पात्र कृषकों का आधार कार्ड अनिवार्य/आवश्यक है। ऋणी कृषकों को अपने बैंक शाखा स्तर पर बीमा कराने की अंतिम तिथि के 07 दिन पहले तक योजनान्तर्गत प्रतिभागिता नहीं करने के सम्बन्ध में लिखित रूप से सम्बन्धित बैंक शाखा को अवगत कराना होगा। गैर ऋणी कृषक स्वैच्छिक आधार पर निकटतम जन सेवा केन्द्र CSC/बैंक शाखा/क्रियान्वयक अभिकरण के अधिकृत बीमा मध्यस्थ के माध्यम से अथवा सीधे फसल बीमा पोर्टल के माध्यम से, पात्र गैर ऋणी कृषक अपनी अधिसूचित फसल का बीमा नियमानुसार करा सकते हैं। अधिसूचित फसल का बीमा कराने के लिए कृषकों के आधार नम्बर के साथ मोबाइल नम्बर व बैंक खाते का विवरण आवश्यक है। वित्तीय संस्थाओं एवं कृषकों के लिए मुख्य बिन्दु निम्नवत है 1.सभी पात्र कृषकों का बीमा अच्छादन भारत सरकार के पोर्टल (www.pmfby.gov.in) पर दर्ज करना अनिवार्य है। जिसके बिना बीमा अच्छादन स्वीकार्य नहीं होगा। 2.प्रीमियम राशि केवल NCIP (NationalCrop Insurance Portal) के भुगतान गेटवे (PAY.GOV) द्वारा ही भेजा जाय। 3- सभी कृषकों का आधार नम्बर होना अनिवार्य है।
क्षतिपूर्ति निर्धारण प्रक्रिया के तहत 1. मौसम के अन्त में राज्य सरकार से प्राप्त संसूचित क्षेत्र (ग्रामपंचायत) के उपज के आँकड़ों के आधार पर नियमानुसार क्षतिपूर्ति का निर्धारण एवं वितरण किया जाता है। 2. प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों के कारण संसूचित क्षेत्र (ग्रामपंचायत) के 75 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में फसल की बुवाई न हो पाने/असफल बुवाई की स्थिति में नियमानुसार बीमित राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत दावों के रूप में प्रदान कर बीमा आवरण समाप्त कर दिया जाता है। 3. फसल की अवधि में, फसल कटाई के 15 दिन पूर्व तक प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों (बाढ़, लम्बे सूखे की दशा, भयंकर सूखा आदि) के कारण फसल की संभावित उपज में 50 प्रतिशत से अधिक की क्षति की स्थिति में अनुमानित क्षतिपूर्ति की 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान किया जाता है जिसे अन्त में उपज आधार पर आंकलित क्षतिपूर्ति राशि से समायोजित किया जाता है। सम्बन्धित के क्रम में जनपद के राजस्व व कृषि विभाग के क्षेत्रीय स्तर पर कार्यरत कार्मिकों द्वारा प्रतिकूल मौसमी स्थितियों के कारण प्रभावित ग्राम पंचायत व फसल में क्षति की सूचना प्राथमिकता के आधार पर जिलाधिकारी/उपकृषि निदेशक कार्यालय को लिखित रूप से प्रस्तुत किया जाता हैं। इन सूचनाओं के आधार पर जनपद के जिलाधिकारी/उप कृषि निदेशक कार्यालय द्वारा प्रभावित ग्राम पंचायत व फसल क्षति की सूचना के सम्बन्ध में क्षति की अधिसूचना जारी की जाती है एवं तत्पश्चात नियमानुसार कार्यवाही सम्पन्न की जाती है। 4. खड़ी फसलों में ओलावृष्टि, जलभराव (धान को छोड़ कर), भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग से क्षति की स्थिति में कृषकों को 72 घण्टों के अन्दर क्रियान्वयक अभिकरण/संबंधित बैंक शाखा/कृषि एवं सम्बन्धित विभाग को फसल नुकसान की स्थिति एवं ब्यौरे के साथ सूचित करना होगा। तत्पश्चात योजना के प्राविधान/राज्य अधिसूचना के क्रम में नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। 5. सामान्य कटाई की तिथियों/पीरियड में फसल कटाई के 14 दिनों तक खेत में सुखाने हेतु रखी गई कटी फसल का ओलावृष्टि, चक्रवात, चक्रवाती वर्षा/बेमौसमी वर्षा से क्षति की स्थिति में कृषकों को 72 घण्टों के अन्दर क्रियान्वयक अभिकरण/संबंधित बैंक शाखाध्कृषि एवं सम्बन्धित विभाग को फसल नुकसान की स्थिति एवं ब्यौरे के साथ सूचित करना होगा। स्थानीय आपदा एवं फसल कटाई के उपरान्त की स्थिति में फसल की क्षति का आंकलन व्यक्तिगत आधार पर नियमानुसार किया जाता है। किसान भाई योजना के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिये कृषि निदेशालय, उत्तर प्रदेश, जिला कृषि विभाग, कामन सर्विस सेंटर (CSC) निकटतम सहकारी समिति या बैंक की शाखा अथवा ए0आई0सी0 पर सम्पर्क करें।
इस अवसर पर प्रभारी अधिकारी कलेक्ट्रेट मनोज कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी डिपिन कुमार तथा अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहें।

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