लघु आपराधिक वादों की विशेष लोक अदालत में 43 वादों का हुआ निस्तारण

हाथरस । उच्च न्यायालय, इलाहाबाद एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देशानुसार व जनपद न्यायाधीश विनय कुमार के आदेशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जनपद न्यायालय हाथरस में लघु आपराधिक वादों के निस्तारण हेतु तीन दिवसीय विशेष लोक अदालत का आयोजन जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में किया जा रहा है। आज द्वितीय दिवस की विशेष लोक अदालत में अपर जनपद न्यायाधीश, नोडल अधिकारी, लोक अदालत महेन्द्र श्रीवास्तव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अपर जनद न्यायाधीश, सचिव, प्रशान्त कुमार, समस्त न्यायिक अधिकारीगण, व अधिवक्तागण, वादकारिगण उपस्थित रहे, इस विशेष लोक अदालत में कुल 43 वादों का निस्तारण किया गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हाथरस जयहिन्द कुमार सिंह के न्यायालय से 21 लघु आपराधिक वादों का निस्तारण किया गया।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हाथरस दीपकनाथ सरस्वती के न्यायालय से 03 लघु आपराधिक वादों का निस्तारण किया गया।
सिविल जज(व.प्र.)/एफ.टी.सी., हाथरस अनु चैधरी के न्यायालय से 01 लघु आपराधिक वाद का निस्तारण किया गया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिकन्द्राराऊ दीपा सैनी के न्यायालय से 12 लघु आपराधिक वाद का निस्तारण किया गया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट, सादाबाद आंचल चन्देल के न्यायालय से 01 लघु आपराधिक वाद का निस्तारण किया गया।
सिविल जज(क.प्र.)/एफ.टी.सी.-द्वितीय, हाथरस हर्षिका रस्तोगी के न्यायालय से 05 लघु आपराधिक वादों का निस्तारण किया गया।
इसके अतिरिक्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव ने जानकारी देते बताया कि जनपद हाथरस में दिनांक 13 सितम्बर, 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शमनीय वाद, दीवानी, राजस्व वाद, मोटर वाहन दुर्घटना वाद, पारिवारिक वाद, बैंक वसूली, धारा 138 एन.आई. एक्ट, विद्युत चोरी वाद, नगर निगम वाद, वाटर टैक्स वाद, जलकर वाद से सम्बन्धित विवादों, स्थायी लोक अदालत के मामले, जिला उपभोक्ता के मामलें का निस्तारण आपसी सुलह समझौते के आधार पर किया जाना है। उन्होंने जनता से अपील है कि वे इस अवसर पर अपने वाद का निस्तारण कराकर राष्ट्रीय लोक अदालत का लाभ उठाए। उन्होंने यह भी बताया कि लोक अदालत में निस्तारित मामलों की अपील नहीं होती है तथा समय एवं धन की बचत होती है और दोंनो पक्षों की विजय होती है। लोक अदालत में आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित सिविल वादों मंे कोर्ट फीस वापस कर दी जाती है।

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