हाथरस। अंतर्विभागीय अभिमुखीकरण बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर बृजेश राठौर ने बताया कि जनपद में 1 अगस्त से 7 अगस्त 2020 तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम “स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प”है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान के महत्व व सही तरीके लिए जागरूक करने के साथ ही कामकाजी महिलाओं को उनके
स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना, साथ ही अस्पतालों व कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाना की स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधाएं ना हो । नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण व प्रतिरोधक छमता बढ़ाने वाला आहार होता है, जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए । सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराने की अनुशंसा की जाती है । शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। स्तनपान से होने वाले फायदे:- स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। शिशु को होने वाले फायदे: १.अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध। २.दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। ३.शिशु को रोगों से बचाता है। ४.शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एकसाथ करने का समर्थन देता है साथ ही इसका यह उद्देश्य है कि कामकाजी महिलाओं को उनके ।स्तनपान
संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना साथ ही कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाना की स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधाएं ना हो डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां का के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराने की अनुशंसा की जाती है शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। स्तनपान से होने वाले फायदे:-स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। शिशु को होने वाले फायदे: स्तनपान एक जरुरी प्रक्रिया है, माँ के शरीर में रहते हुए बच्चे को हर तरह का पोषक पदार्थ मिलता रहता है, शरीर के भीतर वह एक अलग वातावरण में रहता है ऐसे में शरीर से बाहर आने के बाद उसे इन्फेक्शन होने का खतरा होता है। माँ का दूध शिशुओं के लिए एक सम्पूर्ण आहार होता है। इसमें मौजूद एंटीबॉडीज शिशुओं को होने वाली बीमारियों से बचाते हैं। छ: महीने तक शिशुओं को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए। शिशु के जरुरी प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, पानी ये सारे पदार्थ उसे माँ के दूध में ही मिल जाते है, अगर कोई माँ बच्चे को अपने दूध के अलावा कुछ और देती है तो इससे बच्चे में डायरिया होने का खतरा बढ़ जाता है। कराने से महिलायों मे स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है, महिलायों के शरीर से हर महीने होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण उनके स्तन में भी बदलाव होते है लेकिन गर्भावस्ता के दौरान माहवारी बंद होने के कारण हार्मोनल बदलाव नहीं हो पाता है, ऐसे में अगर माँ अपने बच्चे को स्तनपान कराती है तो उनमें स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है
जिसमे प्रभारी चिकित्सक अधिकारी , सी डी पी ओ, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ,नर्स व बाल रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहे।