विधिक साक्षरता शिविर में दी महत्वपूर्ण जानकारी

हाथरस । आजादी का अमृत महोत्सव’’ के दौरान संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर वाटरवर्क्स कालौनी, हाथरस में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
माननीय उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन में संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर वाटरवर्क्स कालौनी, हाथरस में एक विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदया श्रीमती मृदुला कुमार के आदेशानुसार ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वाधान में डा0 लकी, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सादाबाद की अध्यक्षता में किया गया।
जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस की सचिव श्रीमती चेतना, गौरवदीप सिंह, अपर सिविल जज(क0प्र0), हाथरस, जयप्रकाश तिवारी, अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसियेशन हाथरस, सुरेन्द्र पाल शर्मा उर्फ कवाड़ी बाबा, हरीश शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्रीमती डौली माहौर, पूर्व नगर पालिका, अध्यक्ष, श्री रूपराम शर्मा आदि की उपस्थिति में डा0 लकी, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सादाबाद ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था। राष्ट्र संघ काफी हद तक प्रभावहीन था और संयुक्त राष्ट्र का उसकी जगह होने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य देशों की सेनाओं को शांति के लिए तैनात कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशन्स) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ 1930 के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और 1946 में इसे भंग कर दिया गया। राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनाया। 1944 में अमेरीका, ब्रिटेन, रूस और चीन ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रुपरेखा पर सहमत हो गए। इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में पचास देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणा-पत्र की शर्तों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। इस संघ के सदस्य देशों की संख्या 193 हो गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शांति स्थापित करना, मानवाधिकारों की रक्षा व सभी देशों का आर्थिक विकास समान रूप से करना। इसके साथ विभिन्न देशों के मध्य युद्धों को रोकना, अमन व शांति को बढ़ावा देना, पड़ोसी देशों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना इसके मुख्य उद्देश्य थे।
श्रीमती चेतना सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस द्वारा उपस्थित जनसमूह को जानकारी देते हुये बताया कि हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है। आज पूरे विश्व में गरीबी, भुखमरी, बीमारी एवं निरक्षरता से जूझते देशों की मदद करना संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण दायित्व है। भले ही संयुक्त राष्ट्र को पश्चिमी देशों की हाथों की कठपुतली माना जाता रहा हो लेकिन मौजूदा दौर में इसकी प्रासंगिकता पहले से ज्यादा प्रतीत होने लगी है। आज अनेक अर्न्तराष्ट्रीय मुद्दों पर पैदा हुई नाजुक स्थितियों को संभालने में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भूमिका निभाई है। विश्व में अमन व शांति कायम रखने के लिए युवा पीढ़ी को विस्फोटक विचारधारा को त्याग कर शांति व आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना होगा। अमन व शांति के रास्ते को अपनाकर ही विश्व के सभी देश सही मायनों में समान स्तर पर विकास कर सकते है। पिछले कुछ समय से कई देश आधुनिक हथियारों का निर्माण एवं भंडारण कर रहे है। इससे विश्व में अशांति फैलाने की कोशिश हो रहे है। इसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने शुरू से ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके अतिरिक्त सचिव द्वारा उपस्थित जनता को विधिक सहायता प्राप्ति के स्थान कहॉ-कहॉ हैं के बारे में जानकारी देते हुये बताया किः- 1-जिला या तालुका न्यायालय परिसर में स्थिति विधिक सेवा प्राधिकरण/समिति, 2- उच्च न्यायालय/उच्चतम न्यायालय परिसर में स्थित विधिक सेवा समिति, 3- पोस्ट ऑफिस के काउन्टर पर आवेदन करके, 4- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली की बेवसाईट पर जाकर, 5- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के हैल्पलाईन नम्बर 15100 से विधिक सहातयता प्राप्त कर सकते है।
गौरवदीप सिंह, अपर सिविल जज(क0प्र0), हाथरस ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है। ये वो दिन है जब संयुक्त राष्ट्र दिवस का गठन हुआ था। इस दिन का उद्देश्य लोगों को संयुक्त राष्ट्र संस्थान के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों की जानकारी देना है। इसके अतिरिक्त उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि समय आने पर वह अपने उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सके जो उन्हें भारतीय कानून द्वारा दिए गए हैं। कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो इसके लिए वह शिकायत दर्ज करवा सकती है। भारतीय कानून के अनुसार मां-बेटी, मां, पत्नी, बहू या फिर घर में रह रही किसी भी महिला पर घरेलू हिंसा करना अपराध है। रेप पीडित किसी महिला को मुफ्त में कानूनी मदद पाने का अधिकार दिया गया है। इस स्थिति में पुलिस थानाध्यक्ष के लिए जरूरी है कि वह विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करके उसके लिए वकील की व्यवस्था करें।हरीश शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, व उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की स्कीमों के बारे में एवं सूचना का अधिकार अधिनियम, निःशुल्क विधिक सहायता पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी।
रूपराम शर्मा, श्रीमती डौली माहौर, रामगोपाल दीक्षित एवं आशु कवि अनिल बौहरे ने अपने-अपने वक्तव्य में देश को आजादी दिलाने वाले महापुरूषों को याद करते हुये कहा कि विश्व में प्रत्येक देश एवं प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर शांति का सद्भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति शास्त्रों में शस्त्रों में नहीं।सुरेन्द्र पाल शर्मा उर्फ कबाड़ी बाबा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
विधिक साक्षरता शिविर का संचालन जयप्रकाश तिवारी, जिला अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार ऐसोसियेशन, हाथरस द्वारा किया गया।
इसके अतिरिक्त उपस्थित जनता को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस की ओर से पम्पलेट्स वितरित किये गये।

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