स्थायी लोक अदालत एक साधारण प्रक्रिया है, जिसमें बहुत कम समय में होता है वादों के निस्तारण :हेमंत राज सिंह

हाथरस । उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के आदेशानुसार एवं माननीय प्रभारी जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदय श्री त्रिलोक पाल सिंह के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्ववाधान में जनपद हाथरस के 05 ग्रामों में विशेष अभियान के तहत सामान्य-जन को विधिक सहायता प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्रीमती चेतना सिंह की अध्यक्षता में विधिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन ग्राम हतीसा भगवन्तपुर, मोहनपुरा उर्फ भूतपुरा, रहना, गढीनन्दराम एवं नौपुरा में किया गया। जिसमें जनमानस को जानकारी देते हुये बताया कि मुकद्दमों की जानकारी हेतु सभी जानकारीयॉ सी0आई0एस0 पोर्टल, ई0सी0एम0टी0, ई-कोर्ट सर्विस मोबाईल एप, एस0एम0एस0/ई-मेल की सुविधा, मध्यस्थता के लाभ, ई-फाईलिंग प्रणाली के सम्बन्ध में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुये बताया कि अब आप अपने वाद की जानकारी घर बैठे उक्त मोबाईल एप के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा कि जो एप जारी किये गये है वे सभी वादकारियों की सुविधा हेतु व धन एवं की बचत हेतु जारी की गयी हैं, इनका सदपयोग करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने नालसा द्वारा जारी की गयी लीगल सर्विसेज मोबाईल एप के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि लीगल सर्विसेज एप के माध्यम से आप अपने घर बैठे मोबाईल के माध्यम से विधिक सहायता प्राप्त कर सकते है। जिसमें निशुल्क विधिक सहायता, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना एवं मीडियेशन के लिए आप अपने मामले को जिला प्राधिकरण तक ऑनलाइन के माध्यम से भेज सकते है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कोविड-19 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा चलाई जा रही ‘‘बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके सरंक्षण के लिए विधिक सेवा योजना-2015’’ एंव उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना-2021 की जानकारी देते हुये बताया कि जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं, उनके जीवन को संवारने के लिये उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारम्भ किया गया है इसका मूल उद्देश्य पेरशान बच्चों को तत्काल ममद पहुॅचाना है और उनको गलत तथ्यों में जाने से बचाना है।
उन्होने महिलाओं के अधिकार के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मद्द करती है। शिक्षा महिलाओं को जीवन के मार्ग को चुनने का अधिकार देने का पहला कदम है, जिस पर वह आगे बढ़ती है। शिक्षा महिलाओं को अपने काम में अधिक उत्पादकता देने में मद्द करती है एक शिक्षित महिला में कौशल सूचना प्रतिभा और आत्म विश्वास होता है, जो उसे एक बहतर मॉ, कर्मचारी और देश का निवासी बनाती है। महिलायें हमारे देश की आवादी का लगभग आधा हिस्सा है। पुरूष और महिलायंे सिक्के के दो पहलुओं की तरह है और उन्हें देश के विकास में योगदान करने के समान अवसर की आवश्यकता होती है। दोनो एक दूसरे के बिना नही रह सकते है। भारत में लड़कियों की शिक्षा देश की वृद्धि के लिये काफी हद तक आवश्यक है। क्योकि लड़कियॉ लड़कों की तुलना में बहतर काम कर सकती है। आज कल लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है और यह अनिवार्य भी है। क्योंकि महिलायें देश का भविष्य है। भारत को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने के लिये लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है शिक्षित महिलाओं ने पेशेवर क्षेत्रों जैसे न्यायिक सेवाऐं, प्रशासनिक सेवाऐं, चिकित्सा, रक्षा सेवाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिक एवं खेल में अपने योगदान से भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के विषय पर जानकारी देते हुये कहा है कि भारत जैसे पुरातन संस्कृति और धर्मपरायण विचारों वाले राज्य को बेटियों को बचाने के लिए और उनको पढ़ाने के लिए एक अलग मुहिम चलानी पड़ी सबसे प्रमुख कारण तो यह है कि लोगों की मानसिकता बहुत संकुचित हो गई है, उनका बेटियों के प्रति रवैया बहुत ही घटिया स्तर का हो गया है और सोचने की बात तो यह है कि उन्हें ऐसा कृत्य करते हुए जरा भी शर्म महसुस नहीं होती है। ऐसी छोटी व संकुचित सोच रखने वाले लोग बेटी और बेटो में भेदभाव करते हैं क्योंकि वह सोचते हैं कि बेटे हमारी पूरी जिंदगी भर सेवा करेंगे और बेटियां तो पराया धन होती हैं उनको पढ़ा लिखा कर क्या फायदा होगा, इसलिए वह बेटों को ज्यादा अच्छी शिक्षा दिलाते हैं और उन्हीं का ज्यादा ध्यान रखते हैं। वर्तमान में उन लोगों की सोच इतनी निच्चे स्तर तक गिर गई है कि वे लोग बेटियों को अब जन्म लेने से पहले ही कोख में ही मार देते हैं और अगर गलती से उनका जन्म भी हो जाता है तो उनको इसी सुनसान स्थान पर फेंक आते हैं। हमारी सरकार ने इसके विरूद्ध भी कन्या भूण हत्या को रोकने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं।
इसके अतिरिक्त मनीष कौशिक, सदस्य, स्थायी लोक अदालत हाथरस ने अपने वक्तव्य में स्थायी लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि स्थायी लोक अदालत में वायु, सड़क, जलमार्ग द्वारा यात्रियों या माल के वहन के लिए यातायात सेवा, डाक, तार या टेलीफोन सेवा, अस्पताल या औषधालय सेवा, शैक्षिक या शैक्षणिक सस्थानों, बैंकिग एवं वित्तीय सेवा, किसी संस्थान द्वारा जनता को विद्युत, प्रकाश या जल का प्रदाय, सार्वजनिक जन संरक्षण या स्वच्छता प्रणाली, बीमा सेवा एवं आवास और भू-संपदा सेवा से सम्बन्धित मामले दायर किये जाते है। इसके अतिरिक्त उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि किसी भी सरकारी योजनाओं की जानकारी लेने के लिए आप 10 रु0 के पोस्टल आर्डर पर सरकारी कार्यालयों से सूचना मॉग सकते है तथा सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी।
हेमन्त राज सिंह, सदस्य स्थायी लोक अदालत ने जानकारी देते हुये बताया कि स्थायी लोक अदालत में स्थायी लोक अदालत में जनउपयोगी सेवाओं से पीड़ित कोई भी निःशुल्क आवेदन कर सकता है अर्थात् कोई न्याय शुल्क नहीं लगता है। स्थायी लोक अदालत में पक्षकारों के मध्य वाद का निस्तारण सुलह-समझौते के आधार पर किया जाता है तथा उक्त के माध्यम से निस्तारण न होने की दशा में, गुणदोष के आधार पर किया जाता है। स्थायी लोक अदालत में ऐसे वादों का प्री-लिटीगेशन स्तर पर निस्तारण किया जाता है, जो किसी भी न्यायालय मे लम्बित अथवा संदर्भित नहीं किये गये है। स्थायी लोक अदालत मंे पारित आदेश सिविल न्यायालय की डिक्री के समान होता है। यह आदेश सभी पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है। स्थायी लोक अदालत एक साधारण प्रक्रिया है, जिसमें वादों के निस्तारण में बहुत कम समय लगता है।

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