राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह मथुरा का ऑनलाइन वीडियो क्रान्फ्रेसिंग के माध्यम से निरीक्षण

हाथरस। राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा का माननीय जनपद न्यायाधीश महोदय के आदेशानुसार कोविड-19 महामारी को देखते हुये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वावधान में ऑनलाइन वीडियो क्रान्फ्रेसिंग के माध्यम से निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन श्रीमती चेतना सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस की अध्यक्षता में किया गया।
सचिव श्रीमती चेतना सिंह द्वारा राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा में रह रहे किशोरों से बातचीत की तथा उनके खान-पान के बारे में जानकारी ली। शिविर में उपस्थित बालकों को वर्चुअल माध्यम से जानकारी देते हुये अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उनके अनुकूल विधिक सेवाओं की जानकारी दी। उन्होने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा यदि कोई अपराध किया जाता है किशोर न्याय अधिनियम में उसे बाल अपचारी माना जाता है। जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून-विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है। भारत में बाल न्याय अधिनियम 1986 (संशोधित 2000) के अनुसर 16 वर्ष तक की आयु के लड़कों एवं 18 वर्ष तक की आयु की लड़कियों के अपराध करने पर बाल अपराधी की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कोविड-19 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा चलाई जा रही ‘‘बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके सरंक्षण के लिए विधिक सेवा योजना-2015’’ एंव उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना-2021 की जानकारी देते हुये बताया कि जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं, उनके जीवन को संवारने के लिये उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारम्भ किया गया है इसका मूल उद्देश्य पेरशान बच्चों को तत्काल मदद पहुॅचाना है और उनको गलत तथ्यों में जाने से बचाना है। इसके तहत अनाथ बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्थाओं को पूरा ध्यान शासन द्वारा रखा जायेगा। उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है उनकी श्रेणी तय की गयी है। योजना में शून्य से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे जिनके माता-पिता दोंनो की मृत्यु कोविड-19 से हो गयी है या माता-पिता में से एक की मृत्यु मार्च 2020 से पहले हो गयी है और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी है अथवा दोंनों की मृत्यु 01 मार्च 2020 से पहले हो गयी थी इसके अतिरिक्त शून्य से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वह परिवार का मुखिया हो और वर्तमान में जीवित माता-पिता सहित परिवार की आय 2,00,000/रु0 से अधिक ना हो ऐसे लोगों को योजना में शामिल किया जायेगा। इसके अतिरिक्त योजना में दी गयी समस्त जानकारी प्रदान की गयी।
उन्होंने सभी बालकों को कहा है कि अगर कोई गरीब है तथा उसके पास मुकद्दमा लडने के लिए पैसे नही हैं तो वह अपने अधीक्षक के माध्यम से एक निःशुल्क अधिवक्ता नियुक्त करवाने हेतु प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हाथरस के कार्यालय में भिजवा सकता है।
जिसमें राजकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह, मथुरा के अधीक्षक, केयर टेकर, अंशकालिक कम्प्यूटर आपरेटर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आदि उपस्थिति रहे।

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