रूहानी और जिस्मानी सैना दोनों में बखूबी रोल अदा किया कैप्टन सिंह ने : महीपाल सिंह

 बी0के0 कैप्टन अहसान सिंह के शृद्धांजली सभा का हुआ आयोजन
 पूर्व सैनिकों ने किया सैल्यूट

हाथरस । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र के संस्थापक पूर्व आर्मी कैप्टन अहसान सिंह के द्वितीय स्मृति दिवस के अवसर पर शृद्धांजली सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जनपद भर की ब्रह्माकुमारीज पाठषालाओं के संचालक, जनपद तथा आसपास के क्षेत्रों की राजयोग षिक्षिकायें ब्रह्माकुमारियों सहित पूर्व सैनिकों ने कैप्टन सिंह की सेवाओं को सैल्यूट किया।
तत्पष्चात बी0के0 कैप्टन अहसान सिंह को दीप प्रज्ज्वलित कर तीन मिनट के मौन के साथ पुश्पांजली दी गई।
इस अवसर पर पूर्व सैनिक संघ के हाथरस अध्यक्ष सूबेदार महीपाल सिंह ने कहा कि कैप्टन सिंहसाहब ने सैना में रहकर आत्मज्ञान प्राप्त किया यह सब प्रषंसनीय है। उन्होंने भारतीय सैना की जिस्मानी और आध्यात्म की रूहानी सेना दोनों में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया। पूर्ववायुसैनिक रमेष दीक्षित ने कहा कि वे कैप्टन सिंह को इस संस्था के सम्पर्क में आने से पूर्व आध्यात्मिक गतिविधियों में तत्परता से संलग्न देखते थे।
कैप्टन सिंह की स्मृतियों का वर्णन करते हुए इगलास केन्द्र प्रभारी बी.के. हेमलता दीदी ने कहा कि वे सेना में अधिकारी होते हुए भी अपनी यूनिट से 6 किलोमीटर दूर सेवाकेन्द्र पर राजयोग की षिक्षाओं को ग्रहण करने के लिए जाया करते थे। भक्तिकाल में भी वे प्रातःकाल 3 बजे ब्रह्ममहूर्त में जागकर पूजा अर्चना किया करते थे। उन्होंनें देष के लिए 1962 में चीन, 1965 व 1971 में पाकिस्तान के साथ तीनों ही युद्धों में भाग लिया। सेवानिवृत्ति के उपरान्त अपने परिवार सहित ब्रह्माकुमारीज संगठन की आध्यात्मिक और सामाजिक सेवाओं में पूर्ण समर्पित हो गये।
इस अवसर पर उनकी लौकिक पुत्री एवं आनन्दपुरी कालोनी की राजयोग षिक्षिका बी0के0 षान्ता बहिन ने कहा कि माताओं, बहिनों को सदा ही सम्मान देने और उन्हें ज्ञान-योग की बुलंदियों पर ले जाने का प्रयास करते हुए उन्होंने अपने पिता को पाया। माताओं द्वारा संचालित किये जाने वाले इस संगठन के प्रति लोगों की तुच्छ संकीर्णताओं का जबाब उन्होंने उन्हें अबला से सबला बनाकर दिया। वे कहते थे कि एक दिन आयेगा जब तुम्हारी पवित्रता, निच्छल भावना, करूणा, स्नेह का सारी दुनिया सम्मान करेगी। आरम्भ में जब आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र पर गीतापाठषाला के रूप में षुरूआत हुई तो लोग कूड़ा, कीचड़ आदि डाल जाया करते थे और विरोध किया करते थे। वे सभी प्रकार के विरोधों को अपनी सहनषीलता, नम्रता, प्रेम आदि गुणों से आगे बढ़ने का माध्यम जानकर दृढ़ता से आगे बढ़ते रहे।
बी.के. दिनेष भाई ने जयषंकर प्रसाद की देषभक्ति की कविता ‘‘अमृत्यवीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो, प्रषस्त पुण्य पंथ है, बढ़े-चलो, बढ़े-चलो’’ का पाठ करके कैप्टन सिंह को षब्दांजली दी। बी0के0 करूणा बहिन, बी0के0 ष्वेता बहिन ने भी कैप्टन सिंह द्वारा की गई आध्यात्मिक पालना के अनुभवों को षेयर किया।
इस अवसर पर पूर्व सैनिक भीमसैन, केषवदेव, सूबेदार राजवीर सिंह, सहित आर0बी0 दीक्षित, दाऊदयाल अग्रवाल, भोलेनाथ, कृश्णकान्त सहित जनपद भर की गीतापाठषालाओं से आये ब्रह्मावत्स उपस्थित थे।

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