हाथरस। गोलोकवासी पण्डित कृष्ण बल्लभ वशिष्ठ जी (संत जी)की 9वीं पुण्यतिथि पर उनके ज्येष्ट पुत्र प्रमुख समाजसेवी ब्रजेश वशिष्ठ व उनके परिजनों द्वारा निराश्रित, दीन-दुखियों के आश्रय स्थल जलेसर रोड स्थित “अपना घर” आश्रम हाथरस में बेघर बेसहारों को स्वर्गीय पिताजी की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए “अपना घर” आश्रम के प्रभुओं (बेसहारों) को भोजन कराया गया व उनकी स्मृति में विचार गोष्ठी भी आयोजित की गई। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता श्री ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पंडित मदन मोहन गौड़ (एड.) व संचालन “अपना घर” प्रवक्ता चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने किया। इस अवसर पर कवि दीपक रफ़ी ने सुनाया
“मथुरा काशी या बसो ऋषिकेश हरिद्वार।
मात-पिता सेवा बिना सब कुछ है बेकार।।”
आचार्य पंडित मनोज द्रिवेदी द्वारा संदेशवर्धक काव्य पाठ करते हुए सुनाया कि
“मात-पिता सेवा करे नित्य सुबह और शाम।
आज्ञाकारी पुत्र के ये ही तीर्थ और धाम।।..
आशु कवि अनिल बौहरे द्वारा
“हां माता होती है जन्मदाता,
पिता इसे समृद्ध बनाता।।..”
कवि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने सुनाया
“मात पिता छत हैं भगवान हैं।
पिता बिन पुत्र को दिख जाते तारे आसमान हैं..”
मदन मोहन गौड़ (एड.) ने कहा कि
“पिता ही वह शक्ति है जो पुत्र को
शक्तिशाली व गौरवशाली बनाता है।”
पंडित कृष्ण बल्लभ वशिष्ठ जी सरल व सहज स्वभाव के व्यक्ति थे। उनका समाज में रचनात्मक कार्यों में योगदान स्मरणीय व सराहनीय रहेगा।
अंत में सभी उपस्थित नगर के सभ्रांत नागरिकों का आभार प्रकट करते हुए प्रमुख समाजसेवी ब्रजेश वशिष्ठ ने कहा कि “अपना घर” आश्रम वो उपयुक्त स्थल है जहां हम अपने सुख दुख के पल यहां के प्रभुओं(बेसहारों) के साथ साझा करके अपनी आत्मिक संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।
इस मौके पर गायत्री देवी वशिष्ठ,वंदना वशिष्ठ, अवधेश वशिष्ठ( पत्रकार पीटीआई),पंडित राघव वशिष्ठ, गरिमा वशिष्ठ, हरी बल्लभ वशिष्ठ,ब्रज बल्लभ वशिष्ठ, महेशचंद तिवारी,राहुल वशिष्ठ, प्रशांत वशिष्ठ, राधेश्याम उपाध्याय, डा.राजीव गुप्त (प्रधानाचार्य), “अपना घर” के संस्थापक संचालक मदन मोहन वार्ष्णेय, बृजेश अवस्थी,वीरेंद्र उपाध्याय,राजकुमार शर्मा उपस्थित थे।