मानवता के सच्चे उपासक और सिद्धान्तवादी थे डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी : शरद माहेश्वरी

हाथरस। भाजपा जिला कार्यालय एवं जनपद के समस्त 15 मंडलों के सभी बूथों पर पर डा० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उनके छविचित्र पर माल्यार्पण कर बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया | इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष शरद माहेश्वरी ने बताया कि डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। डॉ॰ मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ॰ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने नारा दिया कि एक देश में दो प्रधान दो विधान दो निशान नहीं चलेंगे उन्होंने तत्कालीन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। इस अवसर पर सदर विधायक अंजुला सिंह माहौर, हरिशंकर राना, रुपेश उपाध्याय, अविनाश तिवारी, रामवीर भैयाजी, सतेन्द्र सिंह, नीरेश सिंह, रामकुमार माहेश्वरी, डमवेश चक, डा० आर सी गोला आदि भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित होकर विनम्र श्रधांजलि अर्पित की |

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